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हरियाणा में प्रजापति समाज को मिला मिट्टी खुदाई का अधिकार

मुख्यमंत्री नायब सैनी ने प्रजापति समाज से आह्वान किया कि वे अपनी पारपरिक कला को आधुनिक तकनीक से जोड़ते हुए उसे और सशक्त बनाएं। साथ ही सरकारी योजनाओं का लाभ उठाते हुए नई तकनीकों को अपनाकर एवं अपने उत्पादों की गुणवत्ता एवं आकर्षण बढ़ाकर बाजार की मांग के अनुरूप कार्य करते हुए आगे बढ़ें। मुख्यमंत्री नायब सैनी बुधवार को पिपली में प्रजापति समाज के परिवारों को पात्रता प्रमाण पत्र वितरण हेतु आयोजित राज्य स्तरीय समारोह को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने योजना के लाभार्थियों को प्रमाण पत्र सौंपे।

यह कार्यक्रम प्रदेश के सभी 22 जिलों में एक साथ आयोजित किया गया जिसमें लगभग 1 लाख परिवारों को भूमि पात्रता प्रमाण पत्र प्रदान किए गए। इस योजना तहत लगभग 1700 गांवों में प्रजापति समाज को मिट्टी खुदाई का सामूहिक अधिकार देने हेतु पात्रता प्रमाण पत्र जारी किए गए। मुख्यमंत्री सैनी ने कहा कि ये प्रमाण पत्र न केवल भूमि के उपयोग का अधिकार देते हैं बल्कि प्रजापति समाज के लोगों को अपने कार्य को निर्बाध रूप से संचालित करने की कानूनी शक्ति भी प्रदान करते हैं।

विदेशों तक पहुंचेगी प्रजापति समाज की कला: पंवार
विकास एवं पंचायत मंत्री कृष्ण लाल पंवार ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री सैनी की दूरदर्शी सोच है कि प्रजापति समाज की कला को केवल गांव तक सीमित न रखकर विदेशों तक पहुंचाया जाए। प्रजापति समाज द्वारा बनाए गए दीपक से ही शुभ कार्यों की शुरूआत होती है जो उनकी कला और परंपरा की महत्ता को दर्शाता है। वहीं कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्याम सिंह राणा ने कहा कि प्रजापति समाज द्वारा बनाए जाने वाले बर्तनों में पंचतत्व विद्यमान होते हैं जो हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभदायक हैं।

कांग्रेस शासन में प्रजापति समाज के कार्यस्थलों पर हुए कब्जे : मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री नायब सैनी ने कहा कि पहले प्रत्येक गांव में प्रजापति समाज के लिए मिट्टी लेने हेतु पर्याप्त भूमि उपलब्ध होती थी लेकिन पूर्ववर्ती सरकारों ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। कांग्रेस शासनकाल में तो प्रजापति समाज के कार्यस्थलों पर कब्जे तक कर लिए गए। इतना ही नहीं उस समय सत्ता में बैठे लोगों ने प्रजापति समाज के खिलाफ षड्यंत्र रचकर उनका रोजगार छीनने का प्रयास किया। गांवों में 100-100 वर्ग गज के प्लॉट देने का दिखावटी वादा किया गया और वे प्लॉट उसी भूमि पर काटे गए, जहाँ प्रजापति समाज अपनी रोजी-रोटी कमाता था। ऐसी नीतियों के कारण इस समाज का रोजगार लगभग ठप्प हो गया।

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