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हरियाणा में बाढ़ और बर्बादी कटाव जारी, मिट्टी के कट्टे बहे

हरियाणा में नदियों में पानी का जलस्तर कम होने लगा है लेकिन अब कॉलोनियों, गांवों और बस्तियों में भरा पानी बर्बादी के निशान छोड़ने लगा है। हथिनीकुंड बैराज से शाम सात बजे 59,687 क्यूसेक पानी छोड़ा गया। साथ ही पूर्वी और पश्चिमी यमुनानहर में भी पानी छोड़ना शुरू कर दिया गया है।

अंबाला में बीते 24 घंटे में बारिश थमी हुई है। वहीं, घग्घर में 9.50 फीट, टांगरी में 6 फीट जलस्तर रिकॉर्ड किया गया। खेतों में कई स्थानों पर एक से डेढ़ फीट तक रेत है जिसे निकालने में 10 से 15 दिन का समय लग सकता है।
अंबाला साहा राजमार्ग, चंडीगढ़ दिल्ली राजमार्ग, अंबाला यमुनानगर राजमार्ग पर गड्ढे हो गए हैं। कई स्कूलों में पानी भरा हुआ है जिसे निकालने का प्रयास किया जा रहा है। सोनीपत के घरों में घुसा यमुना का पानी कम होने लगा है लेकिन अब बीमारियां फैलने का खतरा बढ़ गया है।

फतेहाबाद में शुक्रवार को घग्गर नदी में 15000 क्यूसेक पानी की मात्रा रही। भूना में जलभराव कम नहीं हुआ है। यहां जनजीवन बुरी तरह प्रभावित है। सिरसा से कांग्रेस सांसद कुमारी सैलजा ने जलभराव क्षेत्र का निरीक्षण किया।

करनाल में फसलों का सर्वे करा रहा प्रशासन

करनाल में यमुना के सीमावर्ती इलाके के खेतों में चार से आठ इंच तक रेत जमा है। पानी कम होने के बाद रेत को हटाने की तैयारी की जाएगी। इसे हटाने में एक माह का समय लग सकता है। जिले के 34 गांव की करीब 10 हजार एकड़ से ज्यादा क्षेत्र में फसलें पानी में डूबी हैं। प्रशासन की ओर से खराब फसलों का सर्वे कराया जा रहा है। वहीं करनाल जिला नागरिक अस्पताल में जांच में एक महीने में करीब 600 मरीज वायरल के, पिछले दो महीने में टाइफायड के भी 85 मरीज सामने आए हैं। डायरिया के 50 और 31 मरीज डेंगू के सामने आए हैं।

यमुनानगर में कटाव तेज, मिट्टी व रेत के कट्टे बहे

यमुनानगर में हथिनीकुंड बैराज से छोड़े जाने वाले पानी का स्तर एक लाख क्यूसेक से नीचे आ गया। दोपहर 12 बजे बहाव 1,02,947 क्यूसेक था जो शाम सात बजे 59,687 क्यूसेक दर्ज किया गया। अब यमुना नदी के साथ दोनों नहरों में भी बैराज का पानी छोड़ा जा रहा है। बाढ़ से जिले में कुल 11361 एकड़ फसल प्रभावित हुई हैं। इसमें 50 प्रतिशत से अधिक धान की 3281 एकड़, गन्ने की 836 एकड़, पशु चारा 565 एकड़ में नुकसान हुआ है। टापू कमालपुर में सुबह के समय कटाव हुआ था। तीन दिनों में लगाए गए मिट्टी व रेत के कट्टे पानी में बह गए।

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