वीआईपी नंबरों को अधिकारियों की मिलीभगत से औने-पौने दामों में बेचने में पंजाब सरकार ने बताया कि कुछ मामलों में रिकवरी की जा चुकी है। इस पर हाईकोर्ट ने अब उन सभी मामलों की जानकारी मांगी है, जहां रिकवरी होनी है। साथ ही हाईकोर्ट ने पूछा है कि ऐसा करने वाले अफसरों के खिलाफ पंजाब सरकार ने क्या कार्रवाई की है।
गुरसाहिब सिंह ने एडवोकेट बलदेव कपूर के माध्यम से याचिका दाखिल करते हुए हाईकोर्ट को बताया था कि ट्रांसपोर्ट विभाग कौड़ियों के भाव वीआईपी फैंसी नंबर अलॉट कर रहा है। याचिका में इस पूरे मामले की जांच की अपील करते हुए फिरोजपुर के डीटीओ कार्यालय में हो रही धांधली का हवाला दिया था। हाईकोर्ट को बताया गया कि फैंसी नंबर उनकी तय फीस से भी कम दाम में में जारी किए जा रहे हैं। हाईकोर्ट के नोटिस के जवाब में ट्रांसपोर्ट कमिश्नर ने बताया था कि डीटीओ द्वारा चरणदीप सिंह को फैंसी नंबर कम कीमत में अलॉट किया गया था। असल में डीटीओ ने अपने नाम पर यह नंबर जारी किया था।
इसके बाद हाईकोर्ट ने इस मामले में जांच का आदेश दिया था। हाईकोर्ट के आदेश पर एडिशनल स्टेट ट्रांसपोर्ट कमिश्नर की अध्यक्षता में कमेटी गठित की गई और कोर्ट को बताया गया था कि चरणदीप सिंह के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जा रही है। हाईकोर्ट ने इस पर पंजाब सरकार को फटकार लगाते हुए पूछा था कि चरणदीप पर आपराधिक मामला क्यों नहीं दर्ज किया गया। सरकार को हाईकोर्ट ने हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया था, लेकिन इसका पालन नहीं हुआ। हाईकोर्ट ने अब उन सभी मामलों का ब्योरा मांगा है जिनमें रिकवरी हुई नहीं है। ब्योरा आने के बाद हाईकोर्ट उचित आदेश जारी करेगा।