
झारखंड में लगातार प्रयासों के बावजूद सड़क दुर्घटनाओं में हताहतों की संख्या में अब तक अपेक्षित कमी नहीं आ सकी है।
इसके कारणों की पड़ताल और प्रभावी समाधान तलाशने के लिए परिवहन विभाग लगातार मंथन कर रहा है। इसी क्रम में राज्य सरकार गुरुजी आपातकालीन सेवा योजना–1944 लागू करने की तैयारी में जुट गई है।
इस योजना के तहत 1944 को एक टोल-फ्री आपातकालीन नंबर बनाया जाएगा। यह संख्या गुरुजी के जन्म वर्ष से जुड़ी है, इसलिए इसे प्रतीकात्मक महत्व भी दिया गया है।
इस नंबर पर कॉल करते ही सड़क दुर्घटना से जुड़ी सूचना एक साथ पुलिस, एंबुलेंस सेवा और नजदीकी अस्पताल तक पहुंच जाएगी। अभी तक की तैयारियों के अनुसार इस योजना को अगले महीने जनवरी में गुरुजी के जन्मदिन के अवसर पर लॉन्च किए जाने की संभावना है।
सरकार का मानना है कि दुर्घटना के बाद शुरुआती कुछ मिनट बेहद अहम होते हैं और यदि उस समय समन्वित व त्वरित मदद मिल जाए तो कई जानें बचाई जा सकती हैं।
राज्य के विभिन्न मार्गों पर सड़क दुर्घटनाओं की संख्या कम करने और घायलों को तत्काल सहायता उपलब्ध कराने के उद्देश्य से इसे एक बृहद और एकीकृत योजना के रूप में तैयार किया जा रहा है। योजना के तहत सभी आपातकालीन सेवा प्रदाताओं को एक ही एप और एकीकृत कॉल सेंटर से जोड़ा जाएगा।
एक कॉल पर ही एंबुलेंस, पुलिस और चिकित्सकों तक सूचना पहुंच सकेगी। इससे अलग-अलग नंबरों पर फोन करने की जरूरत नहीं रहेगी और प्रतिक्रिया समय में उल्लेखनीय कमी आएगी।
सुरक्षित सड़क, सुरक्षित नागरिक
इस एकीकृत कॉल सेंटर के जरिए सरकार झारखंड को सुरक्षित सड़क, सुरक्षित नागरिक की दिशा में आगे बढ़ाने का दावा कर रही है। सरकार का दीर्घकालिक लक्ष्य सड़क दुर्घटनाओं में हताहतों की संख्या को शून्य तक लाना है।
विजन जीरो की अवधारणा के साथ यह योजना दुर्घटना के बाद त्वरित सहायता और समन्वित प्रतिक्रिया सुनिश्चित करने की दिशा में एक अहम कदम मानी जा रही है।
यह हेल्पलाइन 24×7 काम करेगी। इसके माध्यम से गुड सेमेरिटन यानी दुर्घटनाग्रस्त की मदद करने वालों को प्रोत्साहित करने, हिट एंड रन मामलों में त्वरित सहायता और मुआवजा उपलब्ध कराने की भी व्यवस्था की जाएगी। इस प्रणाली से पुलिस, स्वास्थ्य, परिवहन और आपदा प्रबंधन विभागों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित होगा। सुरक्षित सड़कों और उत्तरदायी नागरिकता को बढ़ावा देने का भी उद्देश्य है।




