रूस- यूक्रेन युद्ध: पंजाब के छात्रों की भूख, प्यास और ठंड से हालत खराब, तहखाने में छिपने को मजबूर  

लुधियाना, यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्र डर के साए में जिंदगी गुजारने को मजबूर हैं। बम धमाकों के बीच भूख, प्यास और ठंड से उनकी हालत खराब हो रही है। पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी (पीएयू) के डायरेक्टोरेट एक्सटेंशन एजुकेशन में कार्यरत राम निहाल पाठक की बेटी कौशिका छह दिन से यूक्रेन के खारकीव मेट्रो स्टेशन में फंसी हुई है। सीएमसी अस्पताल के पीएमआर विभाग के हेड डा. संतोष मथांगी के भांजे प्रेम पांच दिन से जान बचाने के लिए तहखाने में छिपे हैं। अपने जिगर के टुकड़ों को ऐसे हालत में देख उनके स्वजन भी बहुत परेशान हैं। अभिभावक भगवान से प्रार्थना और केंद्र सरकार व प्रधानमंत्री मोदी से गुहार लगा रहे हैं कि उनके बच्चों को इस संकट से निकाल कर उनके पास वापस लाया जाए।

चार में से दो दिन ही खाना मिला, वह भी एक टाइम: कौशिका

कौशिका सितंबर 2016 में खारकीव नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी में एमबीबीएस की पढ़ाई करने गई थी। वह फाइनल ईयर में है। डिग्री पूरी होने में केवल चार माह बचे थे। इस जंग ने उनके भविष्य पर पर प्रश्न चिन्ह लगा दिया है। फोन पर कौशिका ने बताया कि वह 24 फरवरी से मेट्रो स्टेशन में फंसी हुई है। उसके अलावा करीब 100 छात्र और हैं। उनकी हालत लगातार बिगड़ रही है। सरकार, संस्था या सेना से कोई मदद नहीं मिल रही है। पांच में से केवल दो दिन खाना मिला है वह भी केवल एक समय। पूरा दिन एक या दो बिस्कुट खाकर गुजारा कर रहे हैं। भूख के कारण हालत बिगड़ना शुरू हो गई है। सरकार रेसक्यू करने के लिए यूक्रेन बार्डर तक आने के लिए कह रही है लेकिन छात्रों में अब इतनी हिम्मत नहीं है कि वे सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलकर बार्डर तक पहुंचें। ठंड बहुत है। सोने के लिए जगह नहीं मिल रही है।

19 साल के प्रेम दो माह पहले ही एमबीबीएस करने यूक्रेन की जोफोरिया यूनिवर्सिटी गए थे। प्रेम ने बताया कि बुधवार से वह यूनिवर्सिटी हास्टल के तहखाने में छुपे हुए हैं। उनके साथ 400 से अधिक छात्र हैं। उनके पास न तो खाना है, न पानी है। जेब में पैसे भी नहीं हैं। सब जगह एटीएम में पैसे खत्म हो चुके हैं। दुकानें भी बंद हैं। आने-जाने का कोई साधन भी नहीं है। बम धमाकों और लड़ाकू विमानों की आवाजें सुनाई देती रहती हैं। रविवार रात में यूनिवर्सिटी की ओर से बस से बार्डर तक जाने की व्यवस्था की गई थी लेकिन जैसे ही बस में बैठे थोड़ी दूरी पर धमाका हो गया। इसके बाद सभी छात्र वापस तहखाने में आ गए। पता नहीं कब तक सुरक्षित रह पाएंगे।

बेटी खारकीव मेट्रो स्टेशन में फंसी

मैं बस इतना चाहता हूं कि मेरी बेटी घर लौट आए। इसके लिए भले ही सरकार हमसे हमारा सब कुछ ले ले। बेटी खारकीव मेट्रो स्टेशन में फंसी है। सबसे नजदीक रूस का बार्डर है। रूस से सरकार बच्चों को लाने का प्रयास करे। -राम निहाल पाठक

यातायात के सभी साधन बंद

सरकार यूक्रेन की सरकार व सेना से तालमेल कर छात्रों को बार्डर तक लाने में मदद करें। वहां यातायात के सभी साधन बंद हो गए हैं। युद्ध के माहौल में छात्र खुद बार्डर तक नहीं जा सकते हैं। सरकार जल्द से जल्द कोई ऐसा रास्ता ढूंढे, जिससे स्टूडेंटस यूक्रेन से सुरक्षित बाहर निकल कर घर आ सके। – डा. संतोष