कारोबार

2025 के बाद 2026 में भी IPO मार्केट में रहेगी तेजी! 

साल 2025 खत्म होने वाला है। इस साल शेयर बाजार में काफी एक्शन देखने को मिला। वहीं प्राइमरी मार्केट में भी काफी हलचल रही और ढेरों कंपनियां अपने आईपीओ (IPO in 2025) लेकर आईं। पर्याप्त घरेलू कैश, मजबूत निवेशक विश्वास और अच्छे मैक्रोइकोनॉमिक फैक्टर्स के चलते साल 2025 में आईपीओ के जरिए कंपनियों ने रिकॉर्ड 1.76 लाख करोड़ रुपये जुटाए।
अब नए साल 2026 में भी आईपीओ बाजार में यह तेजी जारी रहने की उम्मीद है। इस साल लेंसकार्ट, ग्रो, मीशो और फिजिक्सवाला समेत 18 स्टार्टअप लिस्ट और कुल 41,000 करोड़ रुपये से अधिक जुटाए। वहीं, 2024 में स्टार्टअप ने 29,000 करोड़ रुपये जुटाए थे।

अगले साले के लिए पॉजिटिव रुख

जानकारों का मानना है कि साल 2026 में आईपीओ गतिविधियां तेज रहेंगी। इक्विरस कैपिटल के एमडी और इंवेस्टमेंट बैंकिंग हेड भावेश शाह ने कहा कि नए साल के लिए आईपीओ का आउटलुक प्रोत्साहक बना हुआ है जिसे आगामी आईपीओ और मजबूत क्षेत्रीय डायवर्सिफिकेशन का सपोर्ट मिला हुआ है।
शाह ने बताया कि 75 से अधिक कंपनियों को पहले ही भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की मंजूरी मिल चुकी है लेकिन उन्होंने अभी तक अपने इश्यू नहीं शुरू किए हैं जबकि अन्य 100 कंपनियों को मंजूरी मिलना बाकी है।

किन सेक्टरों के आएंगे आईपीओ?
टेक्नोलॉजी
फाइनेंशियल सर्विसेज
इंफ्रास्ट्रक्चर
एनर्जी
कंज्यूमर सेगमेंट

कौन सी बड़ी कंपनियां ला सकती हैं आईपीओ?
रिलायंस जियो
एसबीआई म्यूचुअल फंड
ओयो
फोनपे

आईपीओ से जुटाए फंड में कितनी बढ़ोतरी?
‘आईपीओ सेंट्रल’ के आंकड़ों के अनुसार, साल 2025 में पेश किए गए 103 नए पब्लिक इश्यू ने कुल 1.76 लाख करोड़ रुपये जुटाए। यह साल 2024 में 90 कंपनियों द्वारा जुटाए गए 1.6 लाख करोड़ रुपये और 2023 में 57 कंपनियों द्वारा जुटाए गए 49,436 करोड़ रुपये से अधिक है।

जेएम फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशनल सिक्योरिटीज में एमडी और इक्विटी कैपिटल मार्केट प्रमुख नेहा अग्रवाल ने कहा कि मजबूत घरेलू नकदी और टिकाऊ निवेशक विश्वास ने रिकॉर्ड राशि जुटाने में मदद की। इक्विरस कैपिटल के शाह ने कहा कि भारत की मैक्रोइकोनॉमिक स्टैबिलिटी (जिसमें मजबूत जीडीपी ग्रोथ, नियंत्रित महंगाई और बेहतर पॉलिसी माहौल शामिल हैं) ने वैश्विक और घरेलू निवेशकों का विश्वास बढ़ाया।

किस तरह जुटाया फंड?
इस साल लिस्ट हुईं कंपनियों में से केवल 23 ने पूरी तरह से नई फंडिंग के जरिए पैसा जुटाया, जिनका औसत निर्गम आकार लगभग 600 करोड़ रुपये रहा। इसके उलट, 15 कंपनियों ने केवल ऑफर फॉर सेल के जरिए पैसा जुटाया और 45,000 करोड़ रुपये से अधिक जुटाए। बाकी कंपनियों ने दोनों का मिश्रण अपनाया जिसमें बिक्री पेशकश की हिस्सेदारी अधिक रही।

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