2030 तक 39 प्रतिशत बदल जाएगा कर्मचारियों का ‘कोर स्किल’

वैश्विक स्तर पर तेजी से बदल रही कौशल मांग को देखते हुए बड़े पैमाने पर उन कामगारों के अप्रासंगिक या अकुशल साबित का खतरा मंडरा रहा है, जो स्किलिंग, री-स्किलिंग या अपस्किलिंग की प्रक्रिया से दूरी बनाए हुए हैं। वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की ताजा रिपोर्ट में यह तथ्य सामने आया है कि दुनिया भर की कंपनियां या उद्योग समूह जिन काम के जिन गुणों को मूल कौशल यानी कोर स्किल मानते हैं, उनमें तेजी से बदलाव आ रहा है।
अनुमान है कि भविष्य की जरूरत को देखते हुए वर्ष 2025 से 2030 तक 39 प्रतिशत कोर स्किल बदल जाएंगे। हालांकि, यह संतोषजनक संकेत है कि बीते वर्षों की तुलना में वर्क फोर्स की री-स्किलिंग और अपस्किलिंग में ठीक वृद्धि देखी जा रही है। वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के वैश्विक सर्वे में पाया गया है कि हाल के वर्षों में कौशल विकास को लेकर लगभग देशों में सुधार की स्थिति देखने को मिली है।
कोविड महामारी ने बढ़ाई थी आशंका
कौशल अस्थिरता को लेकर कोविड महामारी के कारण 2020 में 57 प्रतिशत नियोक्ता आशंकित थे तो 2023 में यह आंकड़ा गिरकर 44 प्रतिशत पर आया। इस बार की रिपोर्ट में 42 प्रतिशत नियोक्ताओं ने अगले पांच वर्ष में प्रतिभा की उपलब्धता को लेकर आशंका जताई है। 29 प्रतिशत नियोक्ताओं ने इस अवधि में कुशल कामगारों की उपलब्धता की उम्मीद जताई है।
क्या कहता है वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम?
इस सुधार के पीछे यह भी एक कारण हो सकता है कि कर्मचारियों के प्रशिक्षण, री-स्किलिंग या अपस्किलिंग के उयायों का प्रतिशत 2023 में 41 प्रतिशत था, जो अब 50 प्रतिशत पर पहुंच गया है। वर्ल्ड इकोनामिक फोरम के अनुसार, भविष्य की प्रतिभा के संबंध में व्यवसाय समूह चिंतित हैं।
एनालिटिकिल थिंकिंग सबसे ज्यादा डिमांडिंग
वर्तमान या भविष्य की जरूरत को देखते हुए विश्लेषणात्मक सोच यानी एनालिटिकल थिंकिंग का कौशल नियोक्ताओं के बीच सबसे अधिक मांग वाला मुख्य कौशल बना हुआ है। 2025 में अधिकतर कंपनियों ने इसे आवश्यक माना है। इसके बाद नेतृत्व और सामाजिक प्रभाव के साथ कार्य संस्कृति या सुधारों के प्रति लचीलापन और चपलता को रखा गया है।
स्किल्स डिमांड में एआई सबसे अव्वल
कोर स्किल के इतर यदि तेजी से बढ़ती कौशल मांग की सूची देखें तो इसमें आर्टिफिशयल इंटेलीजेंस (एआई) और बिग डाटा का स्किल सूची में सबसे ऊपर है।
इसके बाद नेटवर्क और साइबर सुरक्षा के साथ-साथ प्रौद्योगिकी साक्षरता का स्थान है।
इन प्रौद्योगिकी संबंधी कौशलों के साथ रचनात्मक सोच, लचीलापन, जिज्ञासा और आजीवन सीखने की प्रवृत्ति के 2025-2030 की अवधि में महत्वपूर्ण बने रहने की उम्मीद है।
इसके विपरीत मानवीय निपुणता, धीरज और सटीकता के कौशल की मांग में गिरावट देखी गई है। 24 प्रतिशत नियोक्ताओं ने उनके महत्व में कमी की आशंका जताई है।
59 प्रतिशत कर्मचारियों को कौशल प्रशिक्षण की आवश्यकता
विश्व स्तर पर नौकरियों की संख्या 2030 तक बढ़ने का अनुमान है, लेकिन मौजूदा और उभरती कौशल मांग के कारण स्किल गैप बढ़ने का भी खतरा है। इसे देखते हुए कार्यबल की स्किलिंग और री-स्किलिंग को महत्वपूर्ण माना गया है। सर्वे रिपोर्ट ने उदाहरण दिया है कि यदि दुनिया के कार्यबल में कुल 100 लोग हैं तो 2030 तक 59 को प्रशिक्षण की आवश्यकता होगी।
इनमें से नियोक्ताओं का अनुमान है कि 29 को उनकी वर्तमान भूमिकाओं में कौशल दिया जा सकता है और 19 को उनके संगठन के भीतर कहीं और कौशल दिया जा सकता है और फिर से नियुक्त किया जा सकता है। हालांकि 11 इसमें भी खरे नहीं उतरते, जिससे उनकी रोजगार संभावनाएं तेजी से जोखिम में पड़ जाएंगी।
उल्लेखनीय है कि 63 प्रतिशत नियोक्ताओं ने व्यवसाय परिवर्तन में कौशल अंतराल को सबसे बड़ी बाधा माना है। यही कारण है कि 85 प्रतिशत नियोक्ता अपने कर्मचारियों के कौशल प्रशिक्षण को प्राथमिकता देने की योजना बना रहे हैं।
वहीं, 70 प्रतिशत नियोक्ता नए कौशल वाले कर्मचारियों को नियुक्त करने की उम्मीद कर रहे हैं तो 40 प्रतिशत नियोक्ता कर्मचारियों को कम करने की योजना भी बना रहे हैं।
इन कौशल क्षेत्रों में तेज वृद्धि का अनुमान
एआई और बिग डाटा
नेटवर्क और साइबर सिक्योरिटी
तकनीकी साक्षरता
रचनात्मक सोच
लचीलापन व चपलता
जिज्ञासा व आजीवन सीखने की ललक
नेतृत्व क्षमता
टैलेंट मैनेजमेंट
एनालिटिकल थिंकिंग
 
				 
					



