3000 बीघा जमीन सीमेंट कंपनी को आवंटित करने पर हाई कोर्ट की फटकार; अदाणी ग्रुप ने दी सफाई

गुवाहाटी हाईकोर्ट ने असम के आदिवासी बहुल दीमा हसाओ जिले में एक निजी सीमेंट कारखाने (Cement Factory) को 3,000 बीघा जमीन (3000 bigha land) आवंटित करने पर राज्य सरकार की आलोचना की है और पूछा है कि क्या यह कोई ”मजाक” है।
कोर्ट ने उत्तरी कछार हिल्स जिला स्वायत्त परिषद (NCHDAC) के वकील को निर्देश दिया कि वह कंपनी को ”जमीन का इतना बड़ा हिस्सा” आवंटित करने की नीति से संबंधित रिकार्ड प्राप्त करके अदालत के समक्ष पेश करें।
जस्टिस संजय कुमार मेधी (Justice Sanjay Kumar Medhi) ने अपने आदेश में कहा कि मामले के तथ्यों पर सरसरी निगाह डालने से पता चलता है कि आवंटित की गई जमीन लगभग 3000 बीघा है, ”जो अपने आप में असाधारण प्रतीत होती है”। याचिका की सुनवाई के दौरान जज ने कहा, ”3,000 बीघा!..क्या हो रहा है?
3,000 बीघा जमीन एक निजी कंपनी को आवंटित?..यह कैसा फैसला है? क्या यह कोई मजाक है या कुछ और?” पिछले हफ्ते दो रिट याचिकाओं की सुनवाई के दौरान जज ने एक टिप्पणी में कहा कि यह पूरे जिले का क्षेत्रफल हो सकता है।
22 लोगों ने दायर की पहली याचिका
पहली याचिका असम सरकार, एनसीएचडीएसी और अन्य संबंधित विभागों के खिलाफ 22 लोगों द्वारा दायर की गई थी। इसमें आरोप लगाया गया था कि उन्हें दीमा हसाओ जिले में उनकी वैध रूप से अधिकृत भूमि से बेदखल किया जा रहा है।
दूसरी याचिका महाबल सीमेंट कंपनी द्वारा दायर की गई थी, जिसे संयंत्र के निर्माण के लिए 3,000 बीघा (लगभग 991.73 एकड़) भूमि आवंटित की गई है। जस्टिस मेधी ने कहा कि ये दोनों रिट याचिकाएं आपस में जुड़ी हुई हैं और इन पर एक साथ सुनवाई की जाएगी। इस मामले की अगली सुनवाई एक सितंबर को होगी।
अदाणी समूह ने किया खंडन
अदाणी समूह (Adani Group) ने उन खबरों को खारिज कर दिया, जिनमें कहा गया था कि असम सरकार ने राज्य में सीमेंट संयंत्र के लिए उसे जमीन आवंटित की है। उन्होंने इन खबरों को निराधार, झूठा और भ्रामक बताया।
अदाणी समूह के प्रवक्ता ने कहा, ”हमारे संज्ञान में आया है कि कुछ खबरें, इंटरनेट मीडिया पोस्ट और अदालती सुनवाई के क्लिप प्रसारित किए जा रहे हैं, जिनमें यह दावा किया जा रहा है कि असम सरकार ने अदाणी समूह को दीमा हसाओ में सीमेंट संयंत्र के लिए 3,000 बीघा जमीन आवंटित की है। ये खबरें निराधार, झूठी एवं भ्रामक हैं।”