नई दिल्ली, पहाड़ों पर हुई बर्फबारी के बाद दिल्ली-एनसीआर में ठंड का प्रभाव जारी है। शनिवार सुबह से तेज धूप तो निकली है, लेकिन हवाओं के चलते उसका असर घरों के अंदर नहीं है। इस राहत की बात यह है कि आगामी कुछ 4 दिनों के दौरान अधिकतम तापमान में इजाफा होगा, जिससे दिल्ली-एनसीआर के लोगों को ठंड से राहत मिलेगी। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के मुताबिक, पश्चिमी विक्षोभ की सक्रियता खत्म होने के बाद अधिकतम तापमान में इजाफा होगा और अगले चार दिनों के दौरान दिल्ली-एनसीआर में अधिकतम तापमान 23 डिग्री सेल्सियस पहुंच जाएगा, जिसके चलते ठंड से काफी हद तक राहत मिल जाएगी। वहीं, न्यूनतम तापमान 9 डिग्री सेल्सियस से नीचे ही रहेगा, ऐसे में सुबह और शाम को ठंड का एहसास आगामी कई दिनों तक बना रहेगा।
9 फरवरी को बारिश होने के आसार
स्काईमेट वेदर के प्रमुख मौसम विज्ञानी महेश पलावत (Mahesh Palawat, Chief Meteorologist, Skymet Weather) का कहना है कि पश्चिमी विक्षोभ का असर खत्म हो गया है, लेकिन 6 और 9 फरवरी को एक बार फिर 2 पश्चिमी विक्षोभ फिर सक्रिय हो रहे हैं। इसके चलते 9 फरवरी को दिल्ली में हल्की बारिश होने के आसार हैं।
स्काईमेट वेदर के उपाध्यक्ष महेश पलावत के अनुसार, छह और नौ फरवरी को फिर से पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय होगा। लेकिन छह को जहां इसका असर पहाडों पर ही दिखेगा वहीं नौ को दिल्ली में भी थोड़ी बारिश हो सकती है।
अगले सप्ताह धूप खिलेगी, अधितम तापमान में होगा इजाफा
दिल्ली-एनसीआर में अगले सप्ताह खुलेगा व चटख धूप निकलेगी। इसके चलते आने वाले दिनों में दिल्ली-एनसीार में अधिकतम तापमान 22 से 23 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचेगा। बावजूद इसके पश्चिमी विक्षोभ के चलते 9 फरवरी को दिल्ली के कुछ इलाकों में हल्की बूंदा-बांदी दर्ज की जा सकती है।
क्या होता है पश्चिमी विक्षोभ
जब मेडिटेरियन सी से बादल उठते हैं और पश्चिम से पूर्व की ओर बढ़ते हैं तो इसे पश्चिमी विक्षोभ कहते हैं। हिमालय की पहाडि़यों से पहले इन्हें कहीं कोई रुकावट नहीं मिलती। हिमालय की पहाडि़यों पर यह बादल अटकते हैं तो वहां बर्फबारी करते हैं। चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र बनता है तो मैदानी इलाकों में बारिश होती है। मेडिटेरियन सी से यूं तो ये बादल पूरे साल ही उठते रहते हैं, लेकिन भारत में इनका प्रभाव अक्टूबर से फरवरी तक ज्यादा देखने को मिलता है। इस साल फरवरी में यह पहला पश्चिमी विक्षोभ आया है, लेकिन जनवरी में लगभग दोगुने आए थे। जब मेडिटेरियन सी से बादल उठते हैं और पश्चिम से पूर्व की ओर बढ़ते हैं तो इसे पश्चिमी विक्षोभ कहते हैं। हिमालय की पहाड़ियों से पहले इन्हें कहीं कोई रुकावट नहीं मिलती। हिमालय की पहाडि़यों पर यह बादल अटकते हैं तो वहां बर्फबारी करते हैं। चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र बनता है तो मैदानी इलाकों में बारिश होती है। मेडिटेरियन सी से यूं तो ये बादल पूरे साल ही उठते रहते हैं, लेकिन भारत में इनका प्रभाव अक्टूबर से फरवरी तक ज्यादा देखने को मिलता है। इस साल फरवरी में यह पहला पश्चिमी विक्षोभ आया है, लेकिन जनवरी में लगभग दोगुने आए थे।