बिहार सरकार के बजट में नौकरी और रोजगार रहेगा अहम मुद्दा, केंद्र से मिलेगा बड़ा फंड
पटना, बिहार सरकार आज विधानमंडल में वर्ष 2022-23 के लिए अपना वार्षिक बजट पेश करेगी। उप मुख्यमंत्री सह वित्त मंत्री सोमवार को विधानसभा में वित्तीय वर्ष 2022-23 का बजट पेश करेंगे। इसका आकार पिछले बजट से थोड़ा बड़ा होगा। पिछला बजट दो लाख 18 हजार करोड़ रुपये का था। अगले वित्त वर्ष का बजट आकार दो लाख 30 हजार करोड़ रुपये के आसपास हो सकता है। योजना और गैर-योजना यानी दोनों मदों में वृद्धि होगी। चालू वित्तीय वर्ष में योजना मद में एक लाख करोड़ रुपये के खर्च का प्रविधान था। इसके बढऩे की संभावना है।
राेजगार सृजन के उपाय होने के आसार
संभव है कि बजट में रोजगार के अवसर सृजित करने और आधारभूत संरचना को मजबूत करने वाले उपायों पर पहले की तुलना में अधिक धन खर्च के उपाय किए जाएं। आकार बढऩे की एक संभावना इसलिए भी है कि अर्थव्यवस्था में आ रही मजबूती के बाद केंद्रीय करों में राज्यों की भागीदारी मद से पहले की तुलना में अधिक राशि मिलेगी। एक फरवरी को पेश केंद्रीय बजट के अध्ययन के बाद उप मुख्यमंत्री तार किशोर प्रसाद ने केंद्रीय करों में अधिक राशि मिलने की उम्मीद जाहिर की थी। चालू वित्त वर्ष में केंद्रीय करों में हिस्सा और सहायता अनुदान मद में एक लाख 45 हजार करोड़ रुपये की प्राप्ति का अनुमान किया गया था, जबकि कोरोना महामारी के कारण बाजार बुरी तरह प्रभावित रहा। हालत में सुधार के बाद उम्मीद जाहिर की जा रही है कि इन दोनों मदों में केंद्र से राज्य को अधिक राशि मिलेगी।
राजस्व वसूली में होगी वृद्धि
आंतरिक स्रोतों से राजस्व वसूली का आकार भी बढऩे की संभावना है। कोरोना से उत्पन्न मंदी के कारण राज्य सरकार ने चालू वित्त वर्ष में कर राजस्व मद में सिर्फ तीन सौ करोड़ रुपये रुपये बढ़ाया था। गैर कर राजस्व मद में भी इतनी ही राशि की वृद्धि हुई थी। कर और गैर कर राजस्व मद में 40 हजार पांच सौ 55 करोड़ रुपये की उगाही का लक्ष्य रखा था। दोनों मदों में सरकार उगाही का लक्ष्य बढ़ा सकती है।
- आज राज्य का बढ़ा हुआ बजट पेश करेंगे तारकिशोर
- योजना और गैर योजना मद में बढ़ेगी राशि
- आंतरिक स्रोतों से आय बढ़ाने का होगा प्रयास
- केंद्रीय करों और सहायता अनुदान मद में मिलेगी अधिक राशि
- रोजगार सृजन और आधारभूत संरचना पर होगा अधिक खर्च
छह से आठ हजार करोड़ रुपए केंद्र से मिलेगा कर्ज
केंद्रीय बजट में पूंजीगत व्यय के लिए एक लाख करोड़ रुपये के ब्याज मुक्त कर्ज का प्रविधान किया गया है। भुगतान की अवधि भी 50 वर्ष है। यह पूरे देश के लिए है। केंद्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी का फार्मूला और जनसंख्या के आधार पर उम्मीद की जा रही है कि बिहार को एक लाख करोड़ रुपये के इस बटुआ से छह से आठ हजार करोड़ रुपये तक मिल सकते हैं।
पांच वर्ष में इस तरह बढ़ा बजट
- वर्ष रुपये (करोड़ में)
- 2017-18- 160065.69
- 2018-19 176990.27
- 2019-20 200501.01
- 2020-21 211761. 49
- 2021-22 218302.70