जाने इन बीमा पॉलिसियों के बारे में जों Income Tax बचाने के साथ आपके परिवार को भी आर्थिक रूप से करेंगी सुरक्षित
अपने परिवार का भरण-पोषण करने के अलावा भी हमलोगों की कई आर्थिक जिम्मेदारियां होती हैं। इन आर्थिक जरूरतों को पूरी करने के लिए हम नौकरी करते हैं या अपना कारोबार करते हैं। भगवान न करे, लेकिन दुर्भाग्यवश अगर किसी कमाऊ व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो उसके परिवार की आर्थिक जरूरतों को कौन पूरी करेगा? ऐसे कई उदाहरण हम कोविड-19 की दूसरी लहर में देख भी चुके हैं। हमारे न रहने के बाद भी हमारे परिवार को किसी तरह की आर्थिक परेशानी नहीं हो, इसके लिए हम जीवन बीमा करवाते हैं। लाइफ इंश्योरेंस, हेल्थ इंश्योरेंस औेर क्रिटिकल इलनेस इंश्योरेंस इनकम टैक्स बचाने में भी मददगार हैं। आइए, इनके बारे में विस्तार से जानते हैं और यह भी समझते हैं कि जीवन बीमा पर इनकम टैक्स के लाभ लेने के लिए क्या शर्तें लागू होती हैं।
Life Insurance | जीवन बीमा
आयकर अधिनियम की धारा 80सी के तहत जीवन बीमा के प्रीमियम पर आयकर में कटौती का लाभ मिलता है। इसकी अधिकतम सीमा 1.5 लाख रुपये है। हमने ऊपर चर्चा की है कि जीवन बीमा कम से कम इतना तो होना चाहिए कि हमारे न रहने पर परिवार को कोई आर्थिक परेशानी नहीं हो। दैनिक जागरण से बातचीत करते हुए टैक्स एवं इन्वेस्टमेंट एक्सपर्ट बलवंत जैन ने बताया कि सबसे कम प्रीमियम पर अधिकतम बीमा कवर टर्म इंश्योरेंस के तहत मिलता है। किसी भी व्यक्ति को इनकम रीप्लेसमेंट मेथड के आधार पर बीमा कवर की गणना करनी चाहिए। इसे लिए जरूरी है कि कोई भी व्यक्ति अपनी सालाना आय का कम से कम 10-12 गुना जीवन बीमा कवर ले। उन्होंने स्पष्ट किया कि टैक्स बचाने के लिए लाइफ इंश्योरेंस नहीं लेना चाहिए बल्कि टैक्स सेविंग को अतिरिक्त लाभ समझ कर चलना चाहिए। उन्होंने कहा कि टर्म इंश्योरेंस जीवन बीमा लेने का सबसे सस्ता जरिया है।
ULIPs | यूलिप
आपने जीवन बीमा कंपनियों के यूलिप के बारे में जरूर सुना होगा। यूलिप वास्तव में जीवन बीमा कंपनियों के मार्केट लिंक्ड प्रोडक्ट्स हैं। ये भी आयकर अधिनियम की धारा 80सी के तहत 1.5 लाख रुपये तक की कटौती का लाभ आपको देते हैं। कुछ लोग बच्चों के हायर एजुकेशन और उनकी शादी के लिए चिल्ड्रेन्स पॉलिसी भी लेते हैं और इन पर भी धारा 80सी का लाभ मिलता है।
Endowment Policies | एंडोमेंट पॉलिसी
जीवन बीमा कंपनियां ज्यादातर एंडोमेंट पॉलिसी ऑफर करती है। ये पॉलिसियां जीवन बीमा के साथ-साथ बचत में भी सहायक होते हैं। आपने मनी बैक पॉलिसी के बारे में जरूर सुना होगा, यह पॉलिसी एंडोमेंट पॉलिसी के दायरे में आती है। आयकर अधिनियम की धारा 80सी के तहत आप इसके प्रीमियम के भुगतान पर भी 1.5 लाख रुपये तक की कटौती का लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी पर टैक्स सेविंग का लाभ लेने की शर्त
अगर आपने 1 अप्रैल 2012 से पहले टर्म इंश्योरेंस लिया हुआ है तो आपको आयकर अधिनियम की धारा 80सी का लाभ तभी मिलेगा जब उसका प्रीमियम बीमा कवर के 20 फीसद से कम हो। 1 अप्रैल 2012 के बाद खरीदी गई टर्म इंश्योरेंस पॉलिसियों के मामले में प्रीमियम बीमा कवर के 10 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए।
जीवन बीमा के लिए कौन सी पॉलिसी लें?
अभी तक जिस किसी भी फाइनेंशियल एडवाइजर से दैनिक जागरण की बात हुई है, उन्होंने यही कहा कि जीवन बीमा के उद्देश्य सिर्फ और सिर्फ टम इंश्योरेंस ही लिया जाना चाहिए। आर्थिक जिम्मेदारियां बढ़ने पर आप दूसरी टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी भी खरीद सकते हैं। उनका कहना है कि इनकम टैक्स बचाने के लिए लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसीज में इन्वेस्ट करना कहीं से भी फायदे का सौदा नहीं है। इनके रिटर्न काफी कम होते हैं। इसलिए, जीवन बीमा के लिए टर्म इंश्योरेंस और टैक्स सेविंग के लिए अन्य विकल्पों का चयन करना चाहिए।
Health Insurance | स्वास्थ्य बीमा
हेल्थकेयर की लागत दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। हॉस्पिटैलाइजेशन का खर्च तो हर वह परिवार जानता होगा जिस पर बीत चुकी है। खास तौर से कोरोनावायरस की पहली और दूसरी लहर के दौरान। हेल्थ इंश्योरेंस आपको हॉस्पिटल में होने वाले भारी-भरकम खर्चों से तो बचाता ही है, इनकम टैक्स में कटौती का लाभ भी धारा 80डी के तहत देता है।
अगर आपकी उम्र 60 साल से कम है और आप खुद, पत्नी या पति और डिपेंडेंट बच्चों के लिए हेल्थ इंश्योरेंस कवर लेते हैं तो धारा 80डी के तहत 25,000 रुपये तक के प्रीमियम भुगतान पर आपको कटौती का लाभ मिलता है। अगर आप अपने माता-पिता, जिनकी उम्र 60 साल से कम है, के हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम का भुगतान करते हैं तो अतिरिक्त 25,000 रुपये तक की कटौती का लाभ प्राप्त कर सकते हैं। अगर माता-पिता की उम्र 60 साल से अधिक है तो उनके हेल्थ इंश्योरेंस के 50,000 रुपये तक के प्रीमियम भुगतान पर आप धारा 80डी के तहत कटौती का दावा कर सकते हैं। क्रिटिकल इलनेस पॉलिसियां भी धारा 80डी के तहत इनकम टैक्स बचाने के साथ-साथ मेडिकल ट्रीटमेंट पर होने वाले खर्च बचाने में मददगार हैं।