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राजधानी के शासकीय अस्पतालों में इलाज के लिए आने वाले मरीजों के स्वजन को नहीं है ठहरने का ठिकाना…

राजधानी के शासकीय अस्पतालों में इलाज के लिए आने वाले मरीजों के स्वजन को ठहरने का ठिकाना नहीं है। ऐसे में मजबूरन वाहन स्टैंड और सड़कों पर रहने को मजबूर हैं। राज्य के पहले शासकीय सुपरस्पेशियलिटी का तमगा हासिल करने वाले अस्पताल में प्रवेश द्वार में ही नजारा देखने को मिल जाता है।

आंबेडकर और जिला अस्पताल में भी ठहरने की सुविधा नही होने की वजह से इलाज कराने वाले मरीज परिसर और सड़क पर दिन-रात गुजारने के लिए मजबूर हैं। विडंबना है कि इतने वर्षों में शासन ने भी इसकी सुध नहीं ली है। बता दें कि आंबेडकर और डीकेएस अस्पताल में प्रदेश भर से मरीज इलाज कराने के लिए आते हैं।

मड़िया निवास के लिए भेजा प्रस्ताव हुआ निरस्त

मरीजों के आश्रितों की समस्या को देखते हुए तीन वर्ष पूर्व मड़िया निवास बनाने के लिए डीकेएस अस्पताल प्रबंधन ने राज्य शासन को प्रस्ताव भेजा था, लेकिन मंजूरी नही मिली। प्रबंधन ने कुछ माह बाद दोबारा प्रस्ताव भेजा लेकिन उसे भी निरस्त कर दिया गया। इसके बाद से प्रबंधन ने उसे ठंडे बस्ते मंे डाल दिया। अस्पताल प्रबंधन ने चिकित्सा छात्रों, चिकित्सकों व कर्मियों के रहने के लिए 10 मंजिला भवन बनाने का प्रस्ताव तैयार किया है।

12 बिस्तरों का भवन आश्रितों को जल्द मिलेगा

आंबेडकर अस्पताल और डीकेएस सुपरस्पेशियलिटी अस्पताल में दूर-दराज से आने वाले मरीज के स्वजन को ठहरने के लिए जिला स्वास्थ्य विभाग के पीछे 12 बिस्तरों का भवन तैयार किया गया है, जिसके जल्द शुरू होने की उम्मीद है। हालांकि, अस्पतालों में इलाज के लिए जितने मरीज आ रहे हैं, वह नाकाफी है।

मरीजों के स्वजन की पीड़ा

डीकेएस अस्पताल में मेरा बच्चा छह दिनों से भर्ती है। इलाज की सुविधा तो ठीक है लेकिन ठहरने के लिए जगह नही है। पैसे नहीं होने की वजह से वाहन स्टैंड में ही रह रहे हैं।

-राजू यादव, लैलूंगा

15 दिनों से मेरे बेटे का इलाज अस्पताल में चल रहा है। जैसे-तैसे दवाओं का खर्च उठा रहे हैं। रहने को जगह नहीं है इसलिए धूप और बारिश के थपेड़े खाते सड़क पर पड़े हैं। शासन को ठहरने के लिए व्यवस्था करनी चाहिए।

-बिलूराम चतुर्वेदी, राजनांदगांव

10 दिनों से भाई डीकेएस अस्पताल में भर्ती है। डाक्टर तो बेहतर इलाज कर रहे हैं लेकिन नर्सों का बरताव ठीक नहीं है। अस्पताल में रूकने की जगह नहीं होने के चलते बाहर वाहन स्टैंड को ही ठीकाना बनाना पड़ा है।

-संतूराम, बिलासपुर

पति का इलाज चल रहा है। अस्पताल में रूक नहीं सकते, इसलिए सड़कों पर रहना पड़ रहा है। सरकार को मरीजों और उनके परिवार के ठहरने के लिए भवन बनाने की जरूरत है ताकि बाहर से आने वाले गरीब मरीजों को सहुलियत हो।

-आशा भारती, रायगढ़

मरीजों के स्वजन को ठहरने के लिए अस्पताल भवन के ऊपर व्यवस्था है लेकिन नाकाफी है। समस्या को लेकर जल्द ही शासन को अवगत कराएंगे ताकि कोई समाधान निकले।

-डा. हेमंत शर्मा, उपअधीक्षक, डीकेएस अस्पताल

इलाज के लिए आने वाले मरीजों के स्वजन के ठहरने की व्यवस्था की समस्या है। अस्पताल प्रबंधन द्वारा इसपर चर्चा चल रही है। जल्द ही व्यवस्था को लेकर योजना बनेगी।

-डा. विवेक पात्रे, प्रभारी अधीक्षक, आंबेडकर अस्पताल

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