रूस-यूक्रेन युद्ध चीन के लिए ताइवान पर हमले का मार्ग कर सकता है प्रशस्त, पढ़े पूरी खबर
बीजिंग, पांच माह से जारी रूस और यूक्रेन युद्ध पर चीन पूरी तरह से अपनी आंख गड़ाए हुए है। ये साफतौर पर इस बात का संकेत है कि चीन इस युद्ध से ताइवान को लेकर सबक ले रहा है। चीन बारीकी के साथ केवल इस बात का आंकलन कर रहा है कि इस युद्ध में यूक्रेन की मदद के लिए कौन कितना आगे तक आ सकता है। अभी तक जो कुछ सामने आया है उससे चीन के हौसले बुलंद होना स्वाभाविक है। दरअसल, इस बात की आशंका पहले ही जानकारों ने जाहिर कर दी थी कि ये युद्ध चीन के लिए ताइवान पर हमले का मार्ग प्रशस्त कर सकता है। अब यही बात जानकार दोबारा कह रहे हैं। रूस और चीन के नए गठजोड़ से भी इस आशंका को हवा मिल रही है।
पुतिन और शी के बीच हुई बातचीत
15 जून को राष्ट्रपति शी चिनफिंग और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच फोन पर हुई बातचीत में दोनों देशों के गठबंधन को मजबूती देने और आपसी संबंधों को नए आयाम की बात की गई थी। इस बातचीत से भी इस ओर इशारा हो रहा है कि यूक्रेन पर रूस की जीत के बाद चीन के लिए ताइवान पर हमला कर उसको अपने कब्जे में लेने की राहें खुल जाएंगी। हाल ही में इंडोनेशिया के बाली में हुई जी-20 देशों के विदेश मंत्रियों के सम्मेलन में चीन और अमेरिका के हुई बैठक भी इस बारे में काफी अहम रही है। इस बैठक के बाद चीन की तरफ से जो बयान सामने आया उससे साफ हो गया है कि ताइवान को लेकर उसकी नीति स्पष्ट है।
शी ने दिया हर हाल में साथ देने का भरोसा
अपने 69वें जन्मदिन के मौके पर शी ने पुतिन से बातचीत में ये साफ कर दिया कि हर तनाव और परेशानी के बीच वो उनके साथ है। इसके अलावा चीन ने इस बातचीत के दौरान पश्चिमी देशों द्वारा रूस को दी जा रही सभी चेतावनियों को भी बेबुनियाद बताया। पश्चिमी देशों के नेता रूस और चीन के बीच बन रहे इस नए गठजोड़ को लेकर काफी चिंतित हैं। प्रोविडेंस मैग्जीन में जेन्ली यांग और यान यू ने लिखा है कि चीन Internationalization of Renminbi (RMB) को गति देकर डालर के खिलाफ एक नया कमर्शियल नेटवर्क तैयार करना चाहता है।
काम कर गई रूस के न्यूक्लियर अटैक करने की धमकी
इसमें ये भी कहा है कि यूक्रेन पर रूस के हमले और भविष्य में परमाणु हमला करने की आशंका ने अमेरिका और नाटो के हाथों को बांध दिया है। रूस की तरफ से आए इस बयान ने अपना काम कर दिया है। ताइवान को लेकर इस मैग्जीन में कहा गया है कि ये शी चिनफिंग की प्राथमिकता भी है कि वो ताइवान में चीन के खिलाफ होने वाली गतिविधियों पर जीत हासिल करें। इस मैग्जीन में छपे लेख में यांग और यान ने कहा है कि इस युद्ध का लंबा चलना चीन के लिए फायदे का सौदा है।