बिहार में नर्सिंग की पढ़ाई कर रहे छात्रों को केंद्रीय सेवाओं या दूसरे राज्य में रोजगार नहीं मिलेगा..
बिहार में नर्सिंग की पढ़ाई कर रहे छात्रों को केंद्रीय सेवाओं या दूसरे राज्य में रोजगार नहीं मिलेगा। इसका मूल कारण राज्य में चल रहे नर्सिंग संस्थानों की ओर से इंडियन नर्सिंग काउंसिल (आईएनसी) से प्रमाण पत्र हासिल नहीं करना है। वर्ष 2018 के बाद अधिकतर नर्सिंग संस्थान आईएनसी से कोई प्रमाण पत्र हासिल किए बिना ही यह कोर्स चला रहे हैं। जबकि केंद्रीय सेवाओं या दूसरे राज्यों में नर्सिंग के लिए आईएनसी से प्रमाण पत्र हासिल करना अनिवार्य है।
दरअसल, वर्ष 2018 के पहले राज्य में चलने वाले सरकारी-गैर सरकारी संस्थानों की सम्बद्धता (मान्यता) आईएनसी से ली जाती थी। लेकिन कोर्ट ने एक आदेश में कहा कि आईएनसी नर्सिंग संस्थानों को मान्यता नहीं दे सकता। यह अधिकार राज्यों को होना चाहिए। लेकिन कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी कहा कि आईएनसी राष्ट्रव्यापी एक मानक तय करे, जिसके तहत ही संस्थानों में पढ़ाई हो। इसके पीछे का मकसद यह था कि छात्रों को प्रशिक्षण के दौरान बुनियादी सुविधाएं प्रदान हो। इसके लिए नर्सिंग संस्थानों को आईएनसी से सुटेबिलिटि रिपोर्ट (सम्बद्धता) लेने को कहा गया। लेकिन मान्यता मिलने के बाद नर्सिंग संस्थानों ने इस नियम का पालन नहीं किया। निजी संस्थानों की कौन कहे, सरकारी संस्थानों की ओर से भी आईएनसी से किसी तरह का प्रमाण पत्र नहीं लिया गया। इस बीच दो-तीन बैच में 10 हजार से अधिक छात्र पास हो चुके हैं।
एक नजर में
संस्थान निजी सरकारी
एएनएम 129 73
जीएनएम 70 26
बीएससी नर्सिंग 49 05
एमएससी नर्सिंग 05 00
पोस्ट बेसिस 09 00
नियमित रूप से प्रशिक्षण जरूरी
मेडिकल कॉलेज सहित इंजीनियरिंग कॉलेज, आईटीआई सहित अधिकतर शैक्षणिक संस्थानों की मान्यता केंद्र सरकार के निकायों की ओर से ही दी जाती है। लेकिन नर्सिंग में आईएनसी से मिली छूट का लाभ बिहार में नर्सिंग संचालकों ने बखूबी उठाया। अन्य जिलों की कौन कहे, पटना में ही एक भवन में तीन-चार नर्सिंग संस्थान की मान्यता ले ली। इसका नतीजा यह हुआ कि पिछले चार-पांच वर्षों में ही नर्सिंग संस्थानों की संख्या दोगुने से अधिक हो चुके हैं। नियमानुसार नर्सिंग में पढ़ने वाले छात्रों को अस्पतालों में नियमित रूप से प्रशिक्षण जरूरी है। अपवादस्वरूप संस्थानों में ही यह सुविधा उपलब्ध है। कुछ तो ऐसे भी संस्थान हैं जहां पढ़ने वाले छात्र पास करने के बाद इंटर्न के रूप में ही प्रशिक्षण के लिए अस्पताल जाया करते हैं।
स्वास्थ्य विभाग को पत्र भेजा
हाल ही में आईएनसी ने स्वास्थ्य विभाग को पत्र भेजा है। इसमें कहा गया है कि नर्सिंग संस्थान हर हाल में सुटेबिलिटि रिपोर्ट लें। इससे पता चल सकेगा कि किस संस्थान में कितने शिक्षक हैं और उसकी आधारभूत संरचना कैसी है। पत्र के आलोक में विभाग ने तय किया है कि सरकारी संस्थानों में एक साल के भीतर आईएनसी से प्रमाण पत्र हासिल कर लिया जाएगा। विभाग ने निजी संस्थानों को पत्र भेजने का निर्णय लिया है ताकि वह भी आईएनसी से प्रमाण पत्र हासिल कर ले। लेकिन निजी संस्थान इस नियम का कितना पालन कर पाएंगे, यह देखना होगा।