उत्तरप्रदेशराज्य

तीन दिन के वैश्विक निवेशक सम्मेलन का आयोजन कमोबेश सफल यूं ही नहीं हुआ, जानें राज़ ..

लखनऊ में आयोजित 3 दिन के ग्लोबल इंवेर्स्टस समिट का आयोजन कमोबेश सफल यूं ही नहीं हुआ। आर्थिक विशेषज्ञ हों, उद्यमी या फिर पूर्व अधिकारी हर कोई मान रहा है कि इस आयोजन के पीछे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनकी टीम का अनथक परिश्रम ही था, जिसकी नींव वर्ष 2017 में ही सरकार के बदले हुए दृष्टिकोण और कार्यशैली के जरिए रख दी गई थी।

निवेशक सम्मेलन में जहां रिकॉर्ड 33.5 करोड़ के निवेश प्रस्ताव आए हैं। रिलायंस से लेकर अडाणी और अन्य बड़े समूहों ने निवेश का भरोसा दिलाया है लेकिन निवेशकों या यूं कहें उद्यमियों में जो उत्साह पूरे सम्मेलन के दौरान देखा गया वह अभूतपूर्व रहा। ऐसा नहीं है कि पूर्ववर्ती सरकारों ने निवेश के प्रयास नहीं किए। मुंबई में निवेश सम्मेलन भी पूर्व में हुआ लेकिन जो संजीदगी योगी सरकार के रवैये में दिखी, वह अतीत में नजर नहीं आई।

योगी सरकार-@1 में ही पहली बार अधिकारियों से अपने अपने विभागों के प्रस्तुतिकरण कराए गए। पहले अधिकारियों ने खुद को असहज महसूस किया लेकिन बाद में मुख्यमंत्री के समर्पण और संकल्पों को देख अधिकारियों को उनकी कदम ताल करने पर मजबूर होना पड़ा। पहली सरकार में ही अधिकरियों और मंत्रियों को कैसे पेशेगत तौर-तरीके से काम करना है, उसकी आईआईएम में मैनेजमेंट का ककहरा पढ़ाया गया।
यही नहीं हर विभागीय मंत्री को प्रस्तुतिकरण खुद बनाने और उसके बारे में पूरी जानकारी रखने की हिदायत दी गई। विभागों की कार्ययोजना के यह प्रस्तुतिकरण विभाग के कामकाज सुधारने, निवेश की योजनाएं बनाने और उन्हें लागू करने के ध्येय को केंद्र में रख कर किए गए इस मंथन में 25 महकमों की सेक्टोरियल पॉलिसी का अमृत सामने आया। 

कहना गलत न होगा कि इन औद्योगिक नीतियों को उद्यमियों और विदेशी राजदूतों, उद्योगपतियों के समक्ष पेश करने की मशक्कत कई सालों तक चली। योगी खुद एक-एक कंट्री पार्टनर से न केवल मिले बल्कि उन्हें उत्तर प्रदेश के बदले हालात और विविध अवसरों के बारे में जानकारी देते रहे। राष्ट्रों के राजनयिक तो कई-कई बार योगी से मिले। नतीजतन, सरकार, उद्यमियों और मुख्यमंत्री के बीच सहज रिश्ते बनते चले गए। इसी मंथन का नतीजा रहा कि उद्यमियों की सहूलितों और सिंगल विंडों सिस्टम के लिए निवेश मित्र पोर्टल आदि तैयार कर पारदर्शिता कायम की गई। यही वजह रही कि चाहे प्रधानमंत्री के कार्यक्रम में मौजूद रहे उद्योगपति रहे हों या विभिन्न सत्रों में शामिल हुए कंट्री पार्टनर, हर किसी ने सरकार के साथ ही निवेश के लिए बने माहौल की सराहना की। उम्मीद की जा सकती है कि यह संवेदनशीलता आगे भी बरकरार रहे ताकि निवेश प्रस्तावों को जमीन पर उतारा जा सके।

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