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कंगाल पाकिस्तान अपना हर दिन महंगाई का एक नया रिकॉर्ड बन रहा..

कंगाल पाकिस्तान में हर दिन महंगाई का एक नया रिकॉर्ड बन रहा है। इस समय आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में भी इजाफा हो रहा है। बता दें कि पाकिस्तान में महंगाई दर बढ़कर 41.54 प्रतिशत हो गया जो कि पिछले सप्ताह 38.42 प्रतिशत के उच्च स्तर पर थी।

 कंगाल पाकिस्तान में हर दिन महंगाई का एक नया रिकॉर्ड बन रहा है। आर्थिक तंगी से जूझ रहे पाकिस्तान में इस समय आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में भी इजाफा हो रहा है। बता दें कि पाकिस्तान में महंगाई दर बढ़कर 41.54 प्रतिशत हो गया जो कि पिछले सप्ताह 38.42 प्रतिशत के उच्च स्तर पर थी।

सब्जियां और पेट्रोल हुआ और महंगा

पाकिस्तान में प्याज, चिकन, अंडे, चावल, सिगरेट और ईंधन की वजह से बीते सप्ताह में उपभोक्ता कीमतों में वृद्धि हुई है। बता दें कि पांच महीनों में पहली बार साप्ताहिक मुद्रास्फीति 40 प्रतिशत से अधिक हो गई है।

पाकिस्तान ब्यूरो ऑफ स्टैटिस्टिक्स (PBS) के मुताबिक, हफ्ते-दर हफ्ते महंगाई का दर कम हुआ है, लेकिन केले, चिकन, चीनी, खाना पकाने के तेल, गैस और सिगरेट के महंगा होने के कारण यह अभी भी उच्च बनी हुई है। संवेदनशील मूल्य संकेतक (SPI) द्वारा मापी गई अल्पकालिक मुद्रास्फीति 23 फरवरी को समाप्त सप्ताह के लिए साल-दर-साल आधार पर बढ़कर 41.54 प्रतिशत हो गई, जो पिछले सप्ताह में 38.42 प्रतिशत थी।

इनकी कीमत छू रही आसमान

डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान में प्याज, चिकन, अंडे, सिगरेट और ईंधन की कीमतों में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी हुई है। वहीं, गैस की कीमत 108.4 प्रतिशत (सबसे कम आय वर्ग के लिए), सिगरेट 76.45 प्रतिशत, केला 6.67 प्रतिशत, चिकन 5.27 प्रतिशत, चीनी 3.37 प्रतिशत, खाना पकाने का तेल पांच लीटर टिन 3.07 प्रतिशत, वनस्पति घी 2.5 किलोग्राम पैक 2.79 प्रतिशत, वनस्पति घी 1 किलोग्राम पैक 2.2 प्रतिशत, और तैयार चाय 1.09 प्रतिशत बढ़कर हो गया है।

क्या कर रही शाहबाज सरकार?

शाहबाज शरीफ की सरकार आईएमएफ की शर्तों के तहत सख्त कदम उठा रही है, जिससे अर्थव्यवस्था में और गिरावट आने और महंगाई बढ़ने की संभावना है। डॉन न्यूज के अनुसार, अधिकारियों का कहना है कि ऋणदाता अभी भी इस्लामाबाद के साथ बिजली क्षेत्र के ऋण और नीतिगत दर में संभावित वृद्धि पर बातचीत कर रहा है, जो वर्तमान में 17 प्रतिशत है।

बता दें कि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में उथल-पुथल मची हुई है। विदेशी मुद्रा भंडार के लगभग 3 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक गिर जाने के कारण बाहरी वित्तपोषण की जरूरत बढ़ गई है, जो बमुश्किल तीन सप्ताह के आयात के लिए पर्याप्त है।

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