उत्तरप्रदेशराज्य

यूपी में एक हजार करोड़ से एयरपोर्ट की तरह ये 5 बस अड्डे बनेंगे..

बस अड्डों को एयरपोर्ट की तर्ज पर संवारने की योजना के तहत प्रदेश सरकार पीपीपी मॉडल के तहत निजी डेवलपरों को मौका देने जा रही है। पहले चरण में 23 बस अड्डों के विकास की योजना के तहत फिलहाल पांच बस अड्डों के लिए प्राइवेट डेवलपरों की चयन प्रक्रिया अंतिम चरण में हैं। मुख्यमंत्री की मंजूरी के बाद इसे अमली जामा पहनाया जाएगा। 

इन पांच बस अड्डों को एयरपोर्ट की तर्ज पर संवारने के लिए उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम (यूपीएसआरटीसी) को 1000 करोड़ रुपये का निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुआ है। इस निवेश के माध्यम से इन पांचों स्थानों पर 2000 से अधिक प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर सृजित होने की संभावना है। जल्द ही बाकी बचे बस अड्डों के लिए भी निजी डेवलपरों के चयन की कार्रवाई होगी।  

विभाग को 16 फरवरी को समाप्त हुई बिड प्रक्रिया के माध्यम से निवेश के कई प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं, जिसमें वे निवेशक भी शामिल हैं, जिन्होंने यूपीजीआईएस में प्रस्ताव दिए थे। मुख्य सचिव की अगुवाई वाली कमेटी ऑफ सेक्रेटरीज और फिर कैबिनेट के अनुमोदन के बाद इस पर काम शुरू हो जाएगा। अनुमान है कि इस माह के अंत तक उन्हें अनुमति पत्र (एलओआई) जारी कर दिया जाएगा। 

जिन पांच बस अड्डों को एयरपोर्ट की तर्ज पर विकसित किए जाने के लिए डेवलपरों का चयन किया गया है, उनमें कौशांबी बस स्टेशन, लखनऊ का विभूति खंड बस स्टेशन, प्रयागराज का सिविल लाइंस बस स्टेशन, गाजियाबाद का पुराना बस स्टेशन और आगरा फोर्ट बस स्टेशन शामिल है। इन बस स्टेशनों के आधुनिकीकरण के लिए ओमेक्स व एसपीजी बिल्डर्स समेत कई अन्य बिल्डर्स की बिड शामिल रही है। इनके माध्यम से जो निवेश प्रस्ताव मिले हैं उनके अनुसार कौशांबी बस स्टेशन को 245 करोड़, लखनऊ के विभूति खंड में 307 करोड़, प्रयागराज के सिविल लाइंस में 276 करोड़, पुराना गाजियाबाद बस स्टेशन में 114 करोड़ और आगरा फोर्ट बस स्टेशन में 22 करोड़ रुपये का निवेश होगा। 

बस अड्डे कहलाएंगे बस पोर्ट 
बस स्टेशन को अब बस अड्डा कहकर संबोधित नहीं किया जाएगा। अब ये एयरपोर्ट की तरह ही बस पोर्ट कहलाएंगे। परिवहन निगम ने विभागीय कामकाज में इस शब्द का इस्तेमाल भी शुरू कर दिया है। इसमें पब्लिक अनाउंसमेंट की भी व्यवस्था होगी, जबकि वीआईपी लाउंज, कैफेटेरिया, फूड कोर्ट, शॉपिंग मॉल्स, वेटिंग एरिया, एस्केलेटर, लिफ्ट जैसी सुविधाएं भी इसमें विकसित की जाएंगी। विभाग की भूमि पर 30 प्रतिशत हिस्से में ये डेवलपर्स मल्टीस्टोरी बिल्डिंग में इसका संचालन करेंगे। बाकी बचे 70 प्रतिशत स्थान पर बसों का आवागमन और पार्किंग रहेगी। इन बस पोर्ट के मेंटेनेंस का कार्य इन्हीं डेवलपर्स के पास होगा।
 
ऑनलाइन सुविधाओं में भी इजाफा होगा 
बस स्टेशनों के आधुनिकीकरण के अलावा एक अन्य श्रेणी में कैटेगरी में भी परिवहन निगम को निवेश के प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। यह श्रेणी आईटी से संबंधित है। रोडवेज के जीएम (आईटी) युजवेंद्र कुमार के अनुसार जिन कंपनियों ने इस श्रेणी में रुचि दिखाई है उनमें एक कंपनी पेटीएम भी है जो एनसीएमसी कार्ड लांच करना चाहती है। यह कार्ड मेट्रो के मंथली कार्ड जैसा होगा, जिससे बार-बार टिकट लेने की आवश्यक्ता नहीं होगी। पेटीएम से इस संबंध में बातचीत चल रही है और जल्द ही अनुबंध होने की संभावना है।

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