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राष्ट्रपति मुर्मु ने राष्ट्रीय पंचायत प्रोत्साहन सम्मेलन का किया शुभारंभ…

देश की स्वतंत्रता के सौ वर्ष 2047 में पूरे हो रहे हैं। तब तक देश को पूरी तरह विकसित बनाने का लक्ष्य केंद्र सरकार ने तय किया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘विजन : 2047’ में सुविधायुक्त शहरों के साथ ही समग्र रूप से विकसित गांवों की परिकल्पना की गई है।

आजादी के अमृत काल के इन 25 वर्षों के लिए सतत विकास लक्ष्यों का स्थानीयकरण किया जा चुका है। अब पंचायतीराज मंत्रालय देश की हर ग्राम पंचायत को विकसित बनाने के लिए नए सिरे से रोडमैप बनाने जा रहा है, जिसके लिए पांच दिन तक मंथन चलेगा।

गांवों के विकास के लिए कई योजनाएं

राष्ट्रीय पंचायत प्रोत्साहन सम्मेलन का शुभारंभ सोमवार को राष्ट्रपति मुर्मु ने राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कारों के वितरण के साथ किया। गांवों के विकास के लिए कई योजनाएं और अभियान अब तक चल चुके हैं, लेकिन शायद अपेक्षित परिणाम हाथ नहीं लग सके हैं। अब इस दिशा में नए सिरे से प्रयास तेज किए गए हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा तय 17 सतत विकास लक्ष्यों को एकीकृत कर नौ लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं।

इन्हें गांवों में धरातल पर उतारने के लिए पंचायतीराज मंत्रालय को नोडल बनाया गया है। लगभग एक वर्ष से यह प्रक्रिया चल रही है और इस वर्ष राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कारों की घोषणा भी इन्हीं नौ सतत विकास लक्ष्यों की कसौटी पर पंचायतों को परखते हुए की गई है। इन पुरस्कारों का वितरण विज्ञान भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने किया।

मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, लक्ष्य यह है कि 2047 में सभी गांव इस स्थिति तक पहुंच जाएं कि उनमें विकास की कोई कसर न रह जाए। इसके लिए सभी संबंधित मंत्रालय और विभाग समन्वय के साथ काम करेंगे।

इन नौ सतत विकास लक्ष्यों पर राष्ट्रीय सम्मेलन- गरीबी मुक्त और उन्नत आजीविका- आत्मनिर्भर बुनियादी ढांचा- सुशासन- बाल हितैषी पंचायत- महिला हितैषी पंचायत- सामाजिक रूप से सुरक्षित पंचायत- पर्याप्त जल वाली पंचायत- स्वच्छ और हरित पंचायत- स्वस्थ पंचायत

विकास का मॉडल चुनने में सक्षम हों ग्रामीण

राष्ट्रपति राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार वितरण के दौरान कहा कि गांव के विकास से ही देश की समग्र प्रगति हो सकती है। ग्रामीणों को यह तय करने में सक्षम होना चाहिए कि विकास का कौन सा माडल उनके लिए उपयुक्त है और उसे कैसे लागू किया जाए। उन्होंने कहा कि एक पंचायत के सर्वोत्तम तौर-तरीकों को दूसरी पंचायतों में अपनाकर हम तेजी से विकास कर सकते हैं।

पंचायत चुनावों से बढ़ने वाली आपसी कड़वाहट पर चिंता जताते हुए कहा कि चुनाव को लेकर ग्रामीणों में आपसी कलह न हो, इसलिए ही इन चुनावों को राजनीतिक दलों से अलग रखा गया है। राष्ट्रपति ने सलाह दी कि गांव में सभी सामुदायिक कार्य आपसी सहमति से होने चाहिए। इस अवसर पर केंद्रीय पंचायतीराज मंत्री गिरिराज सिंह, राज्यमंत्री कपिल मोरेश्वर पाटिल और केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्यमंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते भी उपस्थित थे।

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