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रफाह-गाजा में भीषण लड़ाई जारी, पीछे हटने को तैयार नहीं इजरायल

रफाह और गाजा के अन्य इलाकों में इजरायली बमबारी में शुक्रवार को 45 फलस्तीनी मारे गए। इजरायली सेना ने कहा है कि कई स्थानों पर उसकी फलस्तीनी आतंकियों से लड़ाई चल रही है। इजरायली सेना करीब डेढ़ महीने से मिस्त्र की सीमा के नजदीक बसे रफाह शहर में लड़ रही है लेकिन उस पर पूरी तरह से कब्जा कर पाने में विफल रही है।

रफाह में अभी भी गाजा के अन्य शहरों से आए एक लाख से ज्यादा बेघर फलस्तीनी शरण लिए हुए हैं जबकि मई की शुरुआत में शरणार्थियों की संख्या 14 लाख थी। इजरायली हमलों से बचने के लिए करीब 13 लाख भागकर गाजा के अन्य हिस्सों में चले गए हैं।

गोलाबारी में 12 फलस्तीनी शरणार्थी मारे गए

रफाह के निवासियों के अनुसार इजरायली टैंक शहर की पश्चिमी और उत्तरी सीमाओं से गोलाबारी कर रहे हैं। जबकि रह-रहकर लड़ाकू विमानों से बमबारी हो रही है और समुद्र में लंगर डाले युद्धपोत राकेट और मिसाइल दाग रहे हैं। शुक्रवार को रफाह के पश्चिमी हिस्से में स्थित मवासी इलाके में गोलाबारी में 12 फलस्तीनी शरणार्थी मारे गए।

इजरायली टैंक का गोला इन शरणार्थियों के टेंट पर आकर गिरा था। रफाह के लोगों का कहना है कि बीते दो दिनों में इजरायली कार्रवाई में तेजी आई है, इससे उसका प्रतिरोध भी बढ़ा है। हमास के अनुसार उसके लड़ाकों ने गुरुवार को दो इजरायली टैकों को निशाना बनाकर उन्हें बर्बाद किया है।

पूरा शहर इजरायली सैन्य कार्रवाई की चपेट में

रफाह के मेयर अहमद अल-सोफी कहते हैं कि पूरा शहर इजरायली सैन्य कार्रवाई की चपेट में है। यहां रहने वाले आमजनों की इजरायली सेना को बिल्कुल भी चिंता नहीं है। इसलिए प्रतिदिन बड़ी संख्या में आमजन मारे जा रहे हैं। घायलों के इलाज की अब कोई सुविधा नहीं बची है। गाजा के मध्य में स्थित नुसीरत में भी इजरायली सेना की कार्रवाई में बड़ी संख्या में लोग मारे गए हैं।

सेना के सूत्रों ने बताया है कि मारे गए ज्यादातर लोग फलस्तीनी आतंकी थे और क्षेत्र में स्थित हथियारों के गोदाम की जानकारी मिलने पर कार्रवाई की गई, उसी दौरान वहां पर आतंकी मारे गए। इस बीच इजरायल के कब्जे वाले वेस्ट बैंक में इजरायली सुरक्षा बलों द्वारा दो फलस्तीनियों के मारे जाने की सूचना है।

आर्मेनिया ने दी फलस्तीन को मान्यता

इजरायली आपत्तियों को दरकिनार करते हुए आर्मेनिया ने भी फलस्तीन को राष्ट्र के रूप में मान्यता दे दी है। आर्मेनिया ने गाजा में तत्काल युद्धविराम के संयुक्त राष्ट्र में आए प्रस्ताव का भी समर्थन किया था। साथ ही क्षेत्रीय विवाद को खत्म करने के लिए दो राष्ट्रों के सिद्धांत का भी समर्थन किया है।

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