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विदेशी निवेशकों की पसंद है भारतीय शेयर बाजार

फॉरेन इन्वेस्टर भारतीय शेयर बाजार में लगातार निवेश कर रहे हैं। एफपीआई इनफ्लो डेटा के अनुसार जुलाई के शुरुआती 2 सप्ताह में विदेशी निवेशकों ने 15,352 करोड़ रुपये का निवेश किया है।

आगामी बजट पर भी विदेशी निवेशकों ने नजर बनाई हुई है। आपको बता दें कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 23 जुलाई 2024 को वित्त वर्ष 2024-24 के लिए बजट पेश करेंगी।

यूएस फेड द्वारा कम दरों और मजबूत घरेलू मांग से प्रेरित होकर विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजार की तरफ अपना रुख अपनाया है।

मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट रिसर्च इंडिया के एसोसिएट डायरेक्टर – मैनेजर रिसर्च, हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि 23 जुलाई 2024 को पेश होने वाले केंद्रीय बजट पर विदेशी निवेशकों का फोकस होगा। वह इस बजट में आर्थिक विकास के साथ सरकार की योजनाओं पर फोकस करेंगे।

कितना हुआ निवेश

डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने 12 जुलाई तक इक्विटी में 15,352 करोड़ रुपये का नेट इनफ्लो किया है। वहीं, राजनीतिक स्थिरता और बाजारों में तेज उछाल की वजह से जून में एफपीआई इनफ्लो 26,565 करोड़ रुपये हुआ।

वहीं, मॉरीशस के साथ भारत की कर संधि में बदलाव और अमेरिकी बांड पैदावार में निरंतर वृद्धि पर चिंताओं के कारण अप्रैल में एफपीआई ने 8,700 करोड़ रुपये से अधिक की निकासी की थी। मई 2024 में चुनावी घबराहट की वजह से एफपीआई ने 25,586 करोड़ रुपये विड्रॉ किये थे।

12 जुलाई तक एफपीआई ने इक्विटी मार्केट के अलावा डेट मार्केट में 8,484 करोड़ रुपये का निवेश किया। इसके बाद डेट की संख्या बढ़कर 77,109 करोड़ रुपये हो गई है।

एफपीआई का फेवरेट क्यों है भारतीय शेयर बाजार

भारतीय बाजार में संस्थागत इक्विटी प्रवाह के साथ म्यूचुअल फंड इनफ्लो में भी लगातार वृद्धि हो रही है। इसके अलावा घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) इनफ्लो भी बढ़ रहा है।

डीआईआई ने 2024 में हर महीने लगातार निवेश किया, जबकि एफपीआई ने खरीद और बिक्री के बीच उतार-चढ़ाव किया है। एफपीआई ने जनवरी, अप्रैल और मई में 60,000 करोड़ रुपये की बिक्री की। वहीं,फरवरी, मार्च और जून में कुल मिलाकर 63,200 करोड़ रुपये की खरीदारी की।

जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वीके विजयकुमार ने कहा

इनफ्लो में उतार-चढ़ाव का कारण यह है कि एफपीआई गतिविधि अमेरिकी बांड पैदावार और अन्य बाजारों में मूल्यांकन जैसे बाहरी कारकों से प्रभावित होती है, जबकि डीआईआई काफी हद तक बाजार में इनफ्लो से प्रेरित होती है। आईटी सेक्टर की प्रमुख कंपनियों के अब तक के उम्मीद से बेहतर नतीजे दिये हैं। ऐसे में एफपीआई द्वारा इन शेयरों में खरीदारी की संभावना का संकेत हैं।

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