दिल्ली के कुछ निजी स्कूलों में दिल्ली से बाहर के छात्रों को डमी स्कूली शिक्षा दी जा रही है। इसमें शामिल होने वाले छात्र कक्षाओं में उपस्थित हुए बिना केवल नामांकन कराकर स्कूल के छात्रों के रूप में फाइनल परीक्षा में उपस्थित होते हैं।
नीट यूजी व जेईई परीक्षा में बैठने के लिए यह छात्र दिल्ली राज्य कोटा का लाभ उठाने के लिए यह सुविधा लेते हैं। अब ऐसी डमी स्कूली शिक्षा दे रहे स्कूलों के खिलाफ शिक्षा निदेशालय ने सख्त रवैया अपनाया है।
शिक्षा निदेशालय ने अधिकारियों को ऐसे स्कूलों की पहचान करने के निर्देश दिए हैं। वहीं ऐसे स्कूलों के खिलाफ दिल्ली स्कूल एजुकेशन एक्ट 1973 के तहत कार्रवाई करने के लिए कहा है। निदेशालय ने जिला अधिकारियों को निर्देश दिया है कि निजी स्कूलों से डमी स्कूलिंग में शामिल नहीं होने के लिए शपथ पत्र लें। निदेशालय के नोटिस में आया है कि कुछ निजी गैर सहायता मान्यता प्राप्त स्कूल दिल्ली से बाहर के छात्रों को डमी स्कूली शिक्षा दे रहे हैं। ऐसे छात्रों को कक्षाओं में उपस्थित हुए बिना स्कूल के छात्रों के रूप में अंतिम परीक्षा में उपस्थित कराया जाता है।
डमी स्कूली शिक्षा का प्लेटफॉर्म ऐसे छात्रों को दी जा रही है जो कि दसवीं कक्षा की पढ़ाई के बाद दिल्ली राज्य कोटा सीट पाने के लिए दिल्ली आ जाते हैं। इन स्कूलों के ऐसे कृत्य के कारण दिल्ली के हजारों मेडिकल उम्मीदवारों को असमान प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ता है और वे दिल्ली राज्य कोटा सीटों के लिए वंचित रह जाते हैं।
सीबीएसई के निरीक्षण में खुली पोल
हाल में सीबीएसई अधिकारियों ने स्कूलों का औचक निरीक्षण किया था। इस दौरान पाया कि कुछ स्कूल डमी छात्रों के आंकड़े पेश कर रहे थे। इसके बाद बोर्ड ने देशभर से 23 स्कूलों को असंबद्ध और डाउनग्रेड करने का निर्णय लिया। इनमें से छह स्कूल दिल्ली के भी पाए गए। ऐसे में निदेशालय ने सभी जिला उपशिक्षा निदेशकों को निर्देश दिया है कि वह सभी स्कूलों से शपथ पत्र लें कि इस तरह डमी स्कूलिंग कदाचार में शामिल नहीं हैं। स्कूलों को इस संबंध में अगले शैक्षणिक सत्र की शुरुआत में एक शपथ पत्र देना होगा।