हाईकोर्ट ने खारिज की पंजाब सरकार की दलील
पंजाब में ईटीटी शिक्षकों की 5994 पदों पर भर्ती पर लगी रोक हटाने के लिए पंजाब सरकार की ओर से दी गई दलील पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने असहमति जता दी है। हाईकोर्ट ने रोक को जारी रखते हुए अब सुनवाई 12 दिसंबर को तय की है।
विज्ञापन जारी होने के बाद नियमों में परिवर्तन को लेकर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के फैसले पर अब यह भर्ती निर्भर करेगी। पिछली सुनवाई पर पंजाब सरकार ने हाईकोर्ट को विश्वास दिलाया था कि अगले आदेश तक भर्ती को आगे नहीं बढ़ाया जाएगा।
याचिका दाखिल करते हुए परविंदर सिंह व अन्य ने एडवोकेट विकास चतरथ के माध्यम से हाईकोर्ट को बताया कि पंजाब सरकार ने 12 अक्तूबर 2022 को ईटीटी के 5994 पद के लिए विज्ञापन जारी किया था। विज्ञापन में योग्यता मानकों को पूरा करने के चलते याचिकाकर्ताओं ने भी इसके लिए आवेदन किया था। 28 अक्टूबर 2022 को पंजाब सरकार ने पंजाब सिविल सर्विस नियम को अधिसूचित किया था।
इसके तहत पंजाबी की अतिरिक्त परीक्षा को ग्रुप सी की सभी सरकारी नौकरी के लिए अनिवार्य कर दिया गया। अधिसूचना जारी करते हुए आरक्षित वर्ग को कोई छूट नहीं दी गई। इसके बाद 1 दिसंबर 2022 को एक शुद्धि पत्र जारी किया जिसके तहत 12 अक्टूबर को ईटीटी के 5994 पद भरने के लिए जारी विज्ञापन पर भी इसे लागू कर दिया गया। याची ने कहा कि इस प्रकार अधिसूचना को किसी पूर्व में जारी भर्ती पर लागू करना पूरी तरह से गलत है। ऐसे में इस शुद्धि पत्र को रद्द करने का आदेश दिया जाए और साथ ही भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगाई जाए।
हाईकोर्ट ने कहा कि इस याचिका में भर्ती को चुनौती देने का सबसे प्रमुख आधार विज्ञापन जारी होने के बाद भर्ती की प्रक्रिया में परिवर्तन है। यह विषय सुप्रीम कोर्ट में तेज प्रकाश बनाम राजस्थान सरकार केस के रूप में पहुंचा था। इस मामले को संविधान पीठ के पास भेजा गया था, जिसने 18 जुलाई 2023 को इस विषय पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। हाईकोर्ट ने कहा कि हमें सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार करना चाहिए।
सरकार ने दी यह दलील
सुनवाई के दौरान भर्ती प्रक्रिया जल्द पूरी करने के लिए हाईकोर्ट से सरकार ने अपील की कि इस याचिका का निपटारा किया जाए। सरकार ने कहा कि भर्ती पूरी करके राज्य के उन स्कूलों में अध्यापकों की कमी को पूरा किया जा सकेगा जहां मौजूदा समय में केवल एक ही अध्यापक स्कूल चला रहा है। मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है, लेकिन हाईकोर्ट फैसला आने तक अंतरिम आदेश जारी कर सकता है।