जेल में मोबाइल मिलने के मामलों पर पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट बेहद सख्त है। हाईकोर्ट ने पंजाब की रोपड़ और गोइंदवाल जिला जेल के अधीक्षकों को तलब किया है। साथ ही पूछा है कि बताएं कि उनके या अन्य संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कर्तव्य में लापरवाही के लिए उचित कार्रवाई का आदेश क्यों नहीं दिया जाए?
कैदी के पास फोन मिलने के मामले में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए इसे कर्तव्य में लापरवाही बताते हुए रोपड़ और गोइंदवाल जिला जेल के अधीक्षकों को अदालत में पेश होकर स्पष्टीकरण देने का आदेश दिया है।
पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के समक्ष याचिका दाखिल करते हुए कैदी गौरव शर्मा ने जेल अधिकारियों पर ज्यादती और अमानवीय व्यवहार का आरोप लगाया था। याची के वकील प्रदीप विर्क ने दलील दी कि 23 जनवरी 2016 को लुधियाना में दर्ज एक मामले से याची सजा काट रहा था। सरकार ने याचिका पर अपना पक्ष रखते हुए कहा कि याचिकाकर्ता पर जेल में मोबाइल फोन रखने पर जेल अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया था।
याचिकाकर्ता को वास्तव में रोपड़ जिला जेल से गोइंदवाल जिला जेल में स्थानांतरित कर दिया गया था और वहां उसके पास एक मोबाइल फोन पाया गया था। इस पर हाईकोर्ट ने कहा कि कैदी के पास मोबाइल फोन कैसे आया यह बेहद गंभीर विषय है।
जिला जेल रोपड़ के अधीक्षक और साथ ही जिला जेल गोइंदवाल के अधीक्षक अगली सुनवाई पर अदालत में उपस्थित हों और बताएं कि उनके या अन्य संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कर्तव्य में लापरवाही के लिए उचित कार्रवाई का आदेश क्यों नहीं दिया जाए। इसके साथ ही यह भी बताया जाए कि कैदी के पास मोबाइल कैसे पहुंचा।