राज्यहरियाणा

होली पर व्यवस्थाएं बनाने में नाकाम रेलवे

होली के पावन पर्व को देखते हुए अंबाला मंडल रेल प्रबंधक ने सख्त निर्देश दिए थे कि भीड़भाड़ के दौरान यात्रियों की परेशानी को देखते हुए कर्मचारी तैनात किए जाएं। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। एसी कोच में बैठे यात्रियों को भी परेशानी का सामना करना पड़ा।

होली पर व्यवस्थाएं बनाने में रेलवे नाकाम नजर आ रहा है। ट्रेनों में लगातार भीड़ बढ़ती जा रही है और ट्रेन में सवार होने के लिए लोगों को जद्दोजहद करनी पड़ रही है, लेकिन न तो रेलवे के कर्मचारी नजर आ रहे हैं और न ही सुरक्षा कर्मचारी।

मंडल रेल प्रबंधक ने सख्त निर्देश दिए थे कि भीड़भाड़ के दौरान यात्रियों की परेशानी को देखते हुए कर्मचारी तैनात किए जाएं। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इस कारण शुक्रवार दोपहर को प्लेटफार्म तीन पर आई आम्रपाली एक्सप्रेस में यात्री स्लीपर कोच में चढ़ने के लिए मशक्कत करते नजर आए और जब वो इसमें कामयाब नहीं हो पाए तो उन्होंने उसी कोच में ही चढ़कर कब्जा कर लिया।

इस दौरान यात्रियों को रोकने वाले टीटीई और कोच अटेंडेंट भी नदारद थे, जिसे जहां मौका मिला, वहीं कोच में घुस गया। इस कारण एसी कोच में बैठे यात्रियों को भी परेशानी का सामना करना पड़ा, क्योंकि कोच में चढ़े स्लीपर श्रेणी के यात्रियों ने शौचालय के पास ही अपना सामान रख लिया था और इस कारण यात्री आवागमन नहीं कर पा रहे थे। ऐसे ही हालात अन्य ट्रेनों में भी देखने को मिले, जहां यात्री स्लीपर की टिकट पर एसी कोच में चढ़ रहे थे।

गिड़गिड़ाते रहे कंफर्म टिकट यात्री
ट्रेन में चढ़ने के दौरान प्लेटफार्म पर खड़े यात्री गुहार लगाते रहे कि उनके पास कंफर्म टिकट है, लेकिन उन्हें कोई सुनने वाला नहीं था, यात्रियों को तो कोच में चढ़ने की होड़ लगी थी कि वो किसी तरह से कोच में घुस जाएं और अगर इस दौरान किसी को चोट भी लग जाए तो परवाह नहीं। इस दौरान कुछ यात्रियों में गालीगलौज भी हुआ और बात लड़ाई-झगड़े तक जा पहुंची।

स्पेशल ट्रेनों में भी वेटिंग
रेलवे ने होली को देखते हुए 26 स्पेशल ट्रेनों का संचालन आरंभ कर दिया है जोकि सहरसा-सरहिंद,गोरखपुर-अमृतसर, छपरा-अमृतसर, गोरखपुर-चंडीगढ़, नई दिल्ली-एमसीटीएम,नई दिल्ली-कटरा, कटरा-वाराणसी, अंबाला-कटिहार,बठिंडा-वाराणसी, चंडीगढ़-कटिहार,अंबाला कैंट-कटिहार और सरहिंद-जयनगर के बीच संचालित होने लगी हैं। इन ट्रेनों में वेटिंग का आंकड़ा 60 के पार हो गया है और अब तत्काल की एक मात्र सहारा यात्रियों के पास रह गया है।

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