29 फरवरी को हाई कोर्ट की एक खंडपीठ ने राज्य को निर्देश दिया था कि भविष्य में अदालत की अनुमति के बिना डेरा प्रमुख के पैरोल के आवेदन पर विचार न किया जाए। 29 फरवरी के आदेशों पर रोक हटाने की मांग करते हुए डेरा प्रमुख ने अब दलील दी है कि पैरोल और फरलो देने का उद्देश्य सुधारात्मक प्रकृति का है और दोषी को परिवार और समाज के साथ अपने सामाजिक संबंधों को बनाए रखने में सक्षम बनाना है।
डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत सिंह की ओर से पैरोल या फरलो देने पर रोक के आदेश को हटाने के लिए हाईकोर्ट के समक्ष लगाई गुहार पर सोमवार को हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार व एसजीपीसी को नोटिस जारी कर जवाब देने के लिए कहा है।
हाईकोर्ट के जस्टिस जीएस संधावालिया पर आधारित डिवीजन बेंच ने हरियाणा सरकार को ये जानकारी देने का आदेश दिया है कि पिछले एक साल में डेरा मुखी जैसे अन्य दोषी जिन्हें ऐसे ही मामलों में दोषी करार दिया गया है, उनमें से कितनों की पैरोल की अर्जी सरकार ने खारिज की है।
अपनी अर्जी में डेरा प्रमुख ने कहा है कि इस साल उसके पास अभी भी 41 दिन की पैरोल/फरलो बची हुई है और वे इसका लाभ उठाना चाहते हैं। उसने दावा किया है कि वह इस साल 20 दिन की पैरोल और 21 दिन की फरलो सहित कुल 41 दिनों की अवधि के लिए रिहाई के लिए पात्र है।
रामरहीम ने कहा- 70 दिन की पैरोल और 21 दिन की फरलो का अधिकार
डेरा प्रमुख ने यह भी कहा है कि हरियाणा गुड कंडक्ट प्रिजनर्स (टेंपररी रिलीज) एक्ट 2022 के तहत पात्र दोषियों को हर कैलेंडर वर्ष में 70 दिन की पैरोल और 21 दिन की फरलो देने का अधिकार दिया गया है। साथ ही यह भी कहा गया है कि नियम ऐसे किसी भी दोषी को पैरोल और फरलो देने पर रोक नहीं लगाते हैं, जिसे आजीवन कारावास और निश्चित अवधि की सजा वाले तीन या अधिक मामलों में दोषी ठहराया गया हो और सजा सुनाई गई हो।
डेरा मुखी का कहना है कि हरियाणा सरकार मामले में अपने जवाब दायर कर बता चुकी है कि सिर्फ डेरा मुखी ही नहीं, बल्कि ऐसे 89 और भी दोषी हैं, उन्हें तीन या तीन से ज्यादा संगीन अपराध में दोषी करार दिया जा चुका है और उन्हे समय पर पैरोल मिलती रही है, इसलिए उन्हें दी गई पैरोल गलत नहीं है। डेरा मुखी का कहना है कि वह इस साल 20 दिन की पैरोल और 21 दिन की फरलो के अधिकारी हैं, ऐसे में हाईकोर्ट अपने आदेश में संशोधन करे। बार बार डेरा प्रमुख को पैरोल/फरलो देने के खिलाफ शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिस पर फरवरी माह में कोर्ट ने डेरा प्रमुख को भविष्य में कोर्ट की इजाजत के बिना पैरोल या फरलो देने पर रोक लगा दी थी।