अदालत ने 2016 में एक लड़के के साथ अप्राकृतिक यौनाचार करने के दोषी पाए गए एक पुजारी को 15 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। अदालत ने कहा कि अपराध की गंभीरता इसलिए बढ़ गई क्योंकि अपराधी ने मंदिर में नियमित स्वयंसेवक के रूप में काम करने वाले 15 वर्षीय लड़के का यौन शोषण किया था।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश हरलीन सिंह उस व्यक्ति के खिलाफ मामले की सुनवाई कर रहे थे, जिसे पिछले महीने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 377 और पॉक्सो की धारा 6 के तहत दोषी ठहराया गया था। अतिरिक्त लोक अभियोजक अंकित अग्रवाल ने दोषी के लिए अधिकतम सजा की मांग करते हुए कहा कि यह एक जघन्य अपराध है।
अदालत द्वारा नोट किए गए मामले के तथ्यों के अनुसार, लड़का स्वेच्छा से दिल्ली के एक आवासीय क्षेत्र में मंदिर की सफाई करता था, जहां पुजारी उसके साथ अप्राकृतिक यौनाचार करता था। उसे अपने निजी अंगों को छूने के लिए मजबूर करता था। यह दुर्व्यवहार लगभग दो महीने तक जारी रहा, जिसके बाद लड़के ने पुलिस से संपर्क किया और एक प्राथमिकी दर्ज की गई।
अदालत ने 50 हजार रुपये का लगाया जुर्माना
अदालत ने कहा कि अपराध के समय दोषी की उम्र 43 साल थी, जबकि पीड़ित 15 साल का था। इसके अलावा, मंदिर का पुजारी होने के नाते दोषी ने नाबालिग पीड़ित को निशाना बनाया और उसका यौन शोषण किया, जो उक्त मंदिर में नियमित स्वयंसेवक था, जो अपराध की गंभीरता को बढ़ाता है। अदालत ने कहा कि सभी कम करने वाली और गंभीर परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए दोषी को पॉक्सो की धारा 6 के तहत अपराध के लिए 15 साल के कठोर कारावास और 50 हजार रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई जाती है।