2017 के एचसीएस ज्यूडिशियल पेपर लीक मामले में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट की फुल कोर्ट ने अब निलंबित रजिस्ट्रार रिक्रूटमेंट बलविंदर शर्मा को बर्खास्त करने की सिफारिश की है। अधीनस्थ न्यायपालिका में 109 पदों को भरने के लिए हरियाणा लोक सेवा आयोग के माध्यम से हाईकोर्ट की कमेटी ने आवेदन आमंत्रित किए थे।
इन पदों को भरने के लिए परीक्षा जुलाई 2017 में आयोजित की गई थी। परीक्षा के बाद, एक उम्मीदवार सुमन ने कथित घोटाले में आपराधिक मामला दर्ज करने के लिए याचिका दायर की। सुमन ने आरोप लगाया था कि परीक्षा से पहले उससे दो अन्य उम्मीदवारों सुशीला और सुनीता ने संपर्क किया था। उन्होंने दावा किया था कि उनके पास परीक्षा का पेपर है। परीक्षा से एक दिन पहले उसे दो प्रश्न बताए गए थे जो पेपर में आने थे। पेपर के लिए एक करोड़ रुपये की मांग की गई थी, लेकिन उसने इनकार कर दिया।
इस याचिका पर जस्टिस कुलदीप सिंह ने पाया था कि सामान्य श्रेणी में सुनीता और आरक्षित श्रेणी में सुशीला ने असाधारण रूप से उच्च अंकों के साथ शीर्ष स्थान प्राप्त किया। तब रजिस्ट्रार रिक्रूटमेंट बलविंदर शर्मा जो अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश स्तर के अधिकारी थे उन्हें ट्रांसफर करने की सिफारिश की गई थी। बाद में उन्हें निलंबित कर दिया गया था। इसके बाद एचसीएस (न्यायिक शाखा) प्रारंभिक परीक्षा 2017 को बाद में रद्द कर दिया गया था।
सभी जजों की मौजूदगी वाली फुल कोर्ट में बलविंदर शर्मा का मामला रखा गया था। अभी तक की जांच का निष्कर्ष रखा गया गया जिस पर चर्चा हुई। शर्मा की भूमिका की तत्कालीन रजिस्ट्रार (सतर्कता) द्वारा विस्तार से जांच की गई थी। विस्तार चर्चा के बाद फुल कोर्ट ने निलंबित रजिस्ट्रार रिक्रूटमेंट बलविंदर कुमार शर्मा को सेवा से बर्खास्त करने की सिफारिश की है।
दिल्ली हाईकोर्ट से खारिज हो चुकी है याचिका
पेपर लीक मामले की जांच दिल्ली पुलिस कर रही है और 31 जनवरी 2020 को दिल्ली की अदालत ने बलविंदर शर्मा के खिलाफ आरोप तय कर दिए थे। इस आदेश को उसने दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा था कि रिकॉर्ड से संकेत मिलते हैं कि कथित लीक से ठीक पहले याचिकाकर्ता के पास प्रश्नपत्र था। मामला संवेदनशील है और आवश्यक साक्ष्य डिजिटल या दस्तावेजी प्रकृति के है। ऐसे में हमें निचली अदालत के आदेश में कोई अवैधता नहीं दिखाई देती। इन टिप्पणियों के साथ उनकी याचिका खारिज कर दी गई थी।