केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने ओडिशा के सबसे पुराने शैक्षणिक संस्थानों में से एक रावेनशॉ विश्वविद्यालय का नाम बदलने का सुझाव दिया है। हालांकि उन्होंने कहा कि 156 साल पुराने संस्थान का नाम बदलना उनकी निजी राय है।
कटक में स्वशासन दिवस पर एक कार्यक्रम के दौरान प्रधान ने कहा, “नाम बदलने की जरूरत है। रेनशॉ, जिनके नाम पर विश्वविद्यालय का नाम रखा गया है, उन्होंने अकाल के दौरान ओडिशावासियों को काफी आहत किया।” संबलपुर से भाजपा सांसद ने यह भी बताया कि राज्य के आयुक्त के रूप में टीई रेवेनेशॉ के कार्यकाल के दौरान ओडिशा में 1866 का विनाशकारी अकाल पड़ा था।
उन्होंने कहा, “ओडिशा के अनेक लोग अकाल में मारे गए। यह आपदा टीई रेवेनशॉ सहित ब्रिटिश अधिकारियों की प्रशासनिक विफलता के कारण हुई थी। ओडिशा के एक प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय का नाम ब्रिटिश कमिश्नर के नाम पर क्यों रखा जाना चाहिए? ओडिशा के बुद्धिजीवियों को इस पर विचार करना चाहिए।’’
रावेनशॉ विश्वविद्यालय की स्थापना 1868 में कटक में ब्रिटिश शासन के दौरान की गई थी। कॉलेज को 1990 के दशक में एक स्वायत्त दर्जा दिया गया था। इसे 2006 में एक एकात्मक विश्वविद्यालय में अपग्रेड किया गया था। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि संस्थान का अपना गौरव है क्योंकि इसने विभिन्न क्षेत्रों के कई दिग्गजों को दिया है।