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भारतीय नौसेना को अधिक ताकतवर बनाने पर सरकार का जोर, साल के अंत तक होंगे तीन रक्षा समझौता

भारतीय नौसेना निगरानी और युद्धक क्षमता बढ़ाने के लिए इस वित्तीय वर्ष के अंत तक कुल तीन बड़े रक्षा समझौते कर सकती है। इन रक्षा समझौतों में 31 एमक्यू9बी ड्रोन सौदा, तीन अतिरिक्त स्कारपीन पनडुब्बी और 26 राफेल एम युद्धक परियोजना शामिल है।

भारतीय नौसेना को इस वर्ष बजट में 61 हजार करोड़ रुपये की पूंजी देकर सरकार ने नौसेना के आधुनिकीकरण पर पूरा जोर दिया है। रक्षा सौदों के तहत इन परियोजनाओं के लिए सरकार को 15 प्रतिशत रकम का अग्रिम भुगतान करना है। वरिष्ठ रक्षा अधिकारियों ने बताया कि इन रक्षा सौदों में सबसे पहले पूरा होने वाला एमक्यू-9बी ड्रोन है जिसे पनडुब्बी विध्वंसक युद्धक क्षमताओं से लैस किया जाएगा।

दो सेनाओं को आठ-आठ ड्रोन मिलने हैं
उन्होंने कहा कि इस संबंध में अमेरिकी प्रस्ताव की वैधता इस साल 31 अक्टूबर तक ही रहेगी। इस परियोजना को इससे पहले ही पूरा कर लिया जाएगा। नौसेना को इसके तहत 15 ड्रोन मिलेंगे जबकि अन्य दो सेनाओं को आठ-आठ ड्रोन मिलने हैं। भारतीय शस्त्र प्रणाली के ड्रोन के साथ एकीकरण को लेकर भी दोनों पक्षों के बीच सहमति बन गई है। नेवल एंटी-शिप मिसाइल (शार्ट रेंज) के पूरी तरह से तैयार होते ही उन्हें ड्रोन से संबद्ध किया जाएगा।

पनडुब्बी की लागत 40 हजार करोड़ रुपये आएगी
दूसरी परियोजना के तहत फ्रेंच नेवल ग्रुप और इंडियन मझगांव डाकयार्ड लिमिटेड की साझेदारी में तीन अतिरिक्त स्कारपीन पनडुब्बियों का निर्माण किया जाएगा। एमडीएल के साथ इस सौदे की बोली को संशोधित किया गया है और अब प्रत्येक पनडुब्बी की लागत 40 हजार करोड़ रुपये आएगी। यह तीनों पनडुब्बियां अपनी पूर्ववर्ती छह पनडुब्बियों से अधिक आधुनिक क्षमताओं से लैस होंगी। इनमें स्वदेशी युद्धक प्रबंधन प्रणाली भी होगी।

सूत्रों का कहना है कि भारत सरकार की कंपनियों जैसे भारत इलेक्ट्रानिक्स लिमिटेड आदि का इसमें बड़ा हिस्सा होगा। तीसरी परियोजना के तहत भारतीय नौसेना 26 एम मरीन युद्धक राफेल की परियोजना को वित्त वर्ष 2024-25 में पूरा कर लेगी। इन राफेल को आइएनएस विक्रांत विमान वाहक युद्धपोतों से संबद्ध किया जाएगा।

दोनों पक्षों के बीच दो दौर की वार्ता हो चुकी है
इस परियोजना को अंतिम रूप देने के लिए दोनों पक्षों के बीच दो दौर की वार्ता हो चुकी है। भारत ने हाल ही में इन विमानों में उत्तम रडार को लगाने का फैसला खारिज कर दिया है। 50 हजार करोड़ रुपये का यह सौदा पिछले 36 राफेल के सौदे की तरह ही है। बस इसमें महंगाई की दर जोड़ने पर सहमति जताई गई है।

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