मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने कहा कि ऊधमसिंह नगर में कल्याणी नदी में प्रदूषण को कम करने के लिए 40 एमएलडी क्षमता का सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट तैयार किया जाना है, इसके लिए डीपीआर तैयार की जा रही है। हल्द्वानी में गौला नदी में गिरने वाले मुख्य नालों को रोकने और मोड़ने के लिए परियोजनाएं तैयार की गई हैं, इसे मंजूरी के लिए राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) को भेजा गया है।
यह जानकारी मुख्य सचिव ने नमामि गंगे कार्यक्रम की इंपावर्ड टास्क फोर्स की 12वीं बैठक की तैयाेरियों के दौरान दीं। उन्होंने कहा कि नमामि गंगे कार्यक्रम के अंतर्गत 244.48 एमएलडी क्षमता सृजित करने के लिए 62 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की स्थापना के लिए सीवरेज अवसंरचना की कुल 43 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है, जिनमें से 165.06 एमएलडी क्षमता वाले 42 एसटीपी स्थापित करके 36 परियोजनाएं पूरी कर ली गई हैं।
अधिसूचना जारी होने की संभावना
20 एसटीपी की स्थापना के लिए कार्य चल रहा है। बताया कि उत्तराखंड बाढ़ मैदान क्षेत्र अधिनियम- 2012 के तहत 614.60 किलोमीटर नदी खंड (अलकनंदा, भागीरथी, मंदाकिनी, भीलंगाना और गंगा) को अधिसूचित किया है। नदी खंड (गौला, कोसी, सुसवा, सोंग और बलदिया) में 361.25 किलोमीटर बाढ़ मैदान जोनिंग का सर्वेक्षण और हाइड्रोलॉजिकल अध्ययन कार्य पूरा हो चुका और अधिसूचना जारी होने की संभावना है।
इसके अलावा इसके अलावा गंगा वाटिकाओं का विकास, रिवर फ्रंट विकास और संस्थागत एवं औद्योगिक एस्टेट पाैधरोपण के तहत 93.10 हेक्टेयर में और मृदा एवं जल संरक्षण व आर्द्रभूमि प्रबंधन के अंतर्गत 1128.00 हेक्टेयर क्षेत्र में पौधे रोपे गए हैं।
हरिद्वार में पानी नहाने योग्य
सीएस ने बताया कि बताया कि हरिद्वार और ऋषिकेश शहरों में 541 किलोमीटर लंबे सीवर नेटवर्क में गंगा नदी में गिरने वाले सीवेज के 100 प्रतिशत उपचार का प्रस्ताव है। उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूकेपीसीबी) और उत्तराखंड पेयजल निगम-उत्तराखंड जल संस्थान इनलेट और आउटलेट अपशिष्ट जल की गुणवत्ता की मासिक निगरानी की जाती है, इसमें फेकल कोलीफॉर्म परीक्षण भी शामिल है। नियमित निगरानी के चलते गंगोत्री से ऋषिकेश तक पानी की गुणवत्ता में सुधार हुआ है, जहां यह वर्ग-ए मानकों (पीने के लिए उपयुक्त) को पूरा करता है। ऋषिकेश से हरिद्वार तक पानी की गुणवत्ता वर्ग-बी (बाहर नहाने के लिए उपयुक्त) के अंतर्गत आती है और इसे बेहतर बनाने का काम प्रगति पर है।
पांच शहरों की पहचान हुई
सीएस ने बताया कि राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी), जल शक्ति मंत्रालय राष्ट्रीय शहरी मामलों के संस्थान (एनआईयूए), आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय (एमओएचयूए) के समन्वय में गंगा बेसिन में नदी शहरों के लिए शहरी नदी प्रबंधन योजनाएं (यूआरएमपी) विकसित कर रहा है। उत्तराखंड राज्य में यूआरएमपी तैयार करने के लिए पांच शहरों की पहचान हरिद्वार, हल्द्वानी, नैनीताल, काशीपुर और उत्तरकाशी की गई है।
सैद्धांतिक मंजूरी मिली
बताया कि केंद्र सरकार से प्राकृतिक खेती पर राष्ट्रीय मिशन के तहत परियोजना प्रस्ताव को सैद्धांतिक मंजूरी मिल गई है। जिसे राज्य के 11 जिलों के 150 गांवों के 6400 हेक्टेयर क्षेत्र में क्रियान्वित करने का प्रस्ताव है। राज्य में 6327 किसानों को प्राकृतिक खेती के तरीकों के बारे में प्रशिक्षित करने के लिए राज्य, जिला और गांव स्तर पर 29 प्रशिक्षण कार्यक्रम और कार्यशालाएं आयोजित की गई हैं।