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ओडिशा कैबिनेट के फैसले: अग्निवीरों को शारीरिक परीक्षा से छूट…

मुख्यमत्री मोहन चरण माझी के नेतृत्व में गुरुवार को हुई कैबिनेट बैठक (Odisha Cabinet Meeting) में तीन बड़े निर्णय लिए गए। इसमें अग्निवीरों के लिए ओडिशा सरकार की नौकरी में 10 प्रतिशत आरक्षण तथा राज्य यूनिफॉर्म सर्विस में 10 प्रतिशत आरक्षण देने एवं अग्निवीरों को शारीरिक परीक्षा से छूट देने के लिए निर्णय लिया गया।

1 वर्ष प्रशिक्षण एवं 4 वर्ष नौकरी के बाद पुलिस, दमकल वाहिनी एवं वन विभाग में अग्निवीरों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण व्यवस्था करने के संदर्भ में कैबिनेट में निर्णय लिए जाने की जानकारी राज्य के मुख्य सचिव मनोज कुमार आहुजा ने दी है। इसके साथ ही सरकारी कर्मचारी की मृत्यु होने पर अब कर्मचारी की बेटी को भी नौकरी मिलेगी। हालांकि, लड़की अविवाहित होनी जरूरी है।

मुख्यमंत्री मोहन चरण मांझी की अध्यक्षता में आज राज्य मंत्रिमंडल की एक महत्वपूर्ण बैठक हुई और विभिन्न प्रस्तावों को मंजूरी दी गई।

ओडिशा सेवानिवृत्त अग्निवीर नियम, 2024 को मंजूरी
बैठक के बाद मीडिया को जानकारी देते हुए मुख्य सचिव मनोज आहूजा ने कहा कि राज्य मंत्रिमंडल ने आज ओडिशा सेवानिवृत्त अग्निवीर नियम, 2024 के निर्माण को मंजूरी दे दी, ताकि राज्य की वर्दी सेवा में सेवानिवृत्त अग्निवीरों को रोजगार के पर्याप्त अवसर प्रदान किए जा सकें, जो सीधी भर्ती द्वारा भरे जाते हैं।

प्रदेश की वर्दी सेवा में सीधी भर्ती से भरे जाने वाले तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के सभी पदों पर सेवानिवृत्त अग्निवीरों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया है। यह आरक्षण सेवानिवृत्त सैनिकों पर लागू आरक्षण के साथ-साथ अतिरिक्त 10 प्रतिशत आरक्षण होगा।

अग्निवीर के लिए सेवा की निर्धारित आयु सीमा में 3 वर्ष की छूट
हालांकि, अग्नि प्रमाण पत्र जारी करने की तारीख पर संबंधित भर्ती नियमों के अनुसार पद के लिए निर्धारित न्यूनतम योग्यता को पूरा करना आवश्यक है। अग्निवीर के लिए सेवा की निर्धारित आयु सीमा में तीन वर्ष की छूट दी जाएगी। नियमों में सेवानिवृत्त अग्निवीर को शारीरिक दक्षता परीक्षणों से छूट प्रदान की गई है।

कैबिनेट ने ओडिशा सिविल सेवा (पुनर्वास सहायता) नियम, 2020 में संशोधन को भी मंजूरी दी। परिणामस्वरूप, अविवाहित लड़कियों और अविवाहित सौतेली बेटियों को अनुग्रह नियुक्ति प्रदान करने पर भी विचार किया जाएगा जो सरकारी कर्मचारियों (माता-पिता) पर निर्भर हैं। इसके अलावा, राज्य मंत्रिमंडल ने गोपालपुर बंदरगाह के स्वामित्व के हस्तांतरण और संशोधित रियायत समझौते पर हस्ताक्षर करने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी।

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