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शाहपुरा : जहाजपुर में हिन्दू संगठनों और प्रशासन के बीच सहमति के बाद धरना समाप्त

शाहपुरा जिले के जहाजपुर कस्बे में लगातार तीसरे दिन भी बाजार बंद रहे, हालांकि देर रात हिंदू संगठनों और प्रशासन के बीच सहमति बनने के बाद धरना समाप्त कर दिया गया लेकिन आज बारावफात के चलते सर्व हिन्दू समाज के बिना किसी आधिकारिक आह्वान के स्वैच्छिक बंद रखा है। यह बंद शाहपुरा जिला मुख्यालय सहित पूरे जिले में केवल जुलूस निकलने तक ही रखा गया है। इस बंद का असर शाहपुरा जिला मुख्यालय के अलावा खजूरी, शक्करगढ़, पीपलूंद और काछोला जैसे आसपास के कस्बों में भी देखा गया। लोगों की सुरक्षा और शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्रशासन ने अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती की है।

जहाजपुर में एकादशी पर धार्मिक जुलूस के दौरान हुए पथराव की घटना के बाद से ही तनाव बना हुआ था। इस घटना के बाद पीतांबर राय भगवान का बेवाण, जिसे किले पर ले जाना था, अस्थायी रूप से आज कल्याणराय जी के मंदिर में रखा गया। प्रशासनिक जांच के बाद ही बेवाण को किले पर ले जाया जाएगा।

विगत रात के दौरान हुए धरना प्रदर्शन के दौरान हिंदू संगठनों की मांगों को ध्यान में रखते हुए प्रशासन ने तुरंत कार्रवाई करते हुए अवैध केबिनों और अतिक्रमण को हटाने की कार्रवाई की गई। इसके बाद धरना समाप्त कर दिया गया और स्थिति को शांतिपूर्ण बनाए रखने की अपील की गई।

सहमति के दौरान प्रशासन ने यह भी घोषणा की है कि अवैध धार्मिक स्थलों की जांच की जा रही है। प्रशासनिक अधिकारियों ने इस बात की पुष्टि की कि जांच पूरी होने तक पीतांबर राय भगवान का बेवाण अगले तीन दिन तक कल्याणराय जी के मंदिर में ही रहेगा। इस जांच के बाद ही बेवान को किले पर ले जाया जाएगा।

शाहपुरा जिला मुख्यालय और जहाजपुर कस्बे में स्थिति पर नजर बनाए रखने के लिए प्रशासन ने अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया है। जिला कलेक्टर राजेंद्र सिंह शेखावत, एसपी राजेश कुमार कांवट, एडिशनल एसपी चंचल मिश्रा और डीवाईएसपी अजीत सिंह मेघवंशी स्वयं मौके पर मौजूद रहकर स्थिति का जायजा ले रहे हैं। सभी प्रमुख इलाकों में पुलिस का गश्त बढ़ा दी गई है ताकि किसी भी अप्रिय घटना से निपटा जा सके।

आज शाहपुरा में बारावफात का जुलूस निकाला जाएगा, जिसे लेकर प्रशासन पूरी तरह सतर्क है। हर प्रमुख इलाके में सुरक्षा के इंतजाम किए गए हैं और लोगों से शांति और सौहार्द बनाए रखने की अपील की गई है। दूसरी ओर जहाजपुर में बारावफात के जलसे को लेकर उपखंड प्रशासन ने पहले ही इसे निरस्त कर दिया था। यह निर्णय इलाके में सांप्रदायिक तनाव को देखते हुए लिया गया ताकि शांति व्यवस्था बनी रहे। जहाजपुर में पथराव की घटना के बाद से हिंदू संगठनों में रोष व्याप्त था।

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