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किसी बीमारी से कम नहीं है गेम एडिक्शन, इन तरीकों से करें इससे बचाव

एडिक्शन किसी भी रूप में खतरनाक होता है। फिर वो चाहे शरण का हो या फिर सिगरेट का। लेकिन आधुनिक युग में सबसे बड़ा एडिक्शन जो सामने आ रहा है वो है गेमिंग एडिक्शन। WHO के अनुसार वीडियो गेम एडिक्शन को एक मेंटल डिसऑर्डर की श्रेणी में माना जा चुका है। जब किसी वीडियो गेम को इंसान भूख, प्यास, नींद, दैनिक क्रिया, आराम और जीवन की अन्य जरूरी गतिविधियों के ऊपर रख कर घंटों वीडियो गेम में ही लिप्त रहता है तो ये एक प्रकार का मेंटल डिसऑर्डर कहलाता है।

गेम को रोकना या खत्म करना अपने वश से बाहर हो जाता है, सेल्फ कंट्रोल जीरो हो जाता है और व्यक्ति अकेलेपन का शिकार होने के साथ शारीरिक रूप से अस्वस्थ होता जाता है। गेमिंग एडिक्शन का पहला संकेत ये होता है कि इंसान इस बात को मानने को तैयार नहीं होता है कि उसे किसी प्रकार का एडिक्शन है, लेकिन घबराने की जरूरत नहीं है। अन्य एडिक्शन की तरह वीडियो गेम एडिक्शन से भी उबरा जा सकता है। जरूरत है तो मात्र सही सपोर्ट और निर्देश की। आइए जानते हैं कि कैसे करें गेम एडिक्शन को बैलेंस-

समय सीमा तय करें
किसी भी काम की समय सीमा तय करने से जीवन संतुलित बना रहता है। इसी तरह गेम्स खेलने की समय सीमा सख्ती से तय करें और सेल्फ कंट्रोल की भावना को जागरूकता से समझें। मात्र 2 मिनट और खेलने की धारणा इसे एडिक्शन का रूप दे सकती है। इसलिए सख्ती से 1 घंटा समय सीमा निर्धारित है तो 1 ही घंटा खेलें। इसके बाद एक मिनट भी एक्स्ट्रा न खेलें।

अन्य हॉबी की तलाश करें
कभी कभी हमें पता भी नहीं होता है और हम अपने छुपे हुए टैलेंट को दबाते जाते हैं। स्क्रीन से हट कर कुछ ऐसे क्लासेज ज्वाइन करें जिससे आप अपनी क्षमता अन्य क्षेत्रों में आजमा सकें। असल दुनिया में आपके टैलेंट से मिलने वाली पहचान वर्चुअल दुनिया में मिलने वाले रिवार्ड और पहचान से कहीं अधिक सुकून देने वाली होगी। साथ ही ये आपके ब्रेन को स्वस्थ बनाए रखती है जिससे आप खुश रहते हैं।

परिवार के साथ समय बिताएं
अकेलेपन के कारण अगर आपने गेमिंग एडिक्शन चुना है तो अपना सामाजिक दायरा बढ़ाएं। अपने परिवार और दोस्तों के साथ आउटिंग पर जाएं या फिर मात्र उनसे बातें करें। जिनसे कई दिनों से बात नहीं किया है उनसे भी बात करें। ये सामाजिकता आपके अकेलेपन को दूर करेगी और आपको खुद रखेगी।

थेरेपिस्ट की मदद लें
अगर आपका गेमिंग एडिक्शन आउट ऑफ कंट्रोल हो चुका है, और कोई भी तरकीब काम नहीं आ रही है तो काउंसलर या थेरेपिस्ट की मदद लेने में कतई संकोच न करें।

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