दिल्लीराज्य

दिल्ली में 500 जंक्शनों पर बिछेगा एआई कैमरों का जाल

राष्ट्रीय राजधानी में जल्द ही यातायात नियमों के पालन की निगरानी कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) आधारित अत्याधुनिक कैमरों से होगी। सभी तरह के नियम टूटने पर तुरंत ई-चालान वाहन मालिक को भेज दिया जाएगा।

यही नहीं, यदि वाहन चोरी का होगा या नंबर प्लेट फर्जी होगी तो उसकी जानकारी संबंधित क्षेत्र की पुलिस तक पहुंच जाएगी। यदि वाहन की रफ्तार 200 किमी से अधिक होगी तो उसकी फोटो, वाहन का नंबर आदि की जानकारी भी सभी एजेंसियों को आसानी से मिल जाएगी। दिल्ली के 500 जंक्शनों पर यह कैमरे लगाए जाएंगे।

दिल्ली परिवहन विभाग की तरफ से इंटेलिजेंट ट्रांसपोर्ट सिस्टम (आईटीएस) पर आधारित एआई आधारित अत्याधुनिक कैमरे लगाने के लिए निविदा जारी की गई है। इसके जरिये सड़कों पर सातों दिन व 24 घंटे निगरानी रखी जाएगी। इससे जरूरत के हिसाब से रीयल टाइम बेसिस पर यातायात व्यवस्था का प्रबंधन किया जाएगा। इसमें नियमों को तोड़ने वाले वाहन सिस्टम काे झांसा नहीं दे सकेंगे, जो भी नियम वाहन चालक तोड़ेगा, उसके खिलाफ कार्रवाई होगी ही।

ट्रैफिक विश्लेषण किया जा सकेगा
एआई आधारित कैमरे अलग-अलग डाटाबेस से जुड़ेंगे। इसमें जीएसटी, पुलिस, ई-वाहन, सारथी, और केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय और वाहन रजिस्ट्री डेटा बेस प्रणाली समेत अन्य विभागों का डेटा होगा। इसकी मदद से बिना बीमा के, उम्र पूरी कर चुके वाहन, ग्रेप के दौरान नियम को तोड़ने वाले वाहन, चोरी के वाहन, बिना बिल के खरीदे गए वाहन, प्रतिबंधित वाहन आदि पर कार्रवाई होगी। इसके साथ ही यह भी पता चलेगा कि किस क्षेत्र में कितने वाहन किस समय पर आवागमन करते हैं, किस प्रकार के वाहन हैं और अधिक हादसे किस समय पर होते हैं, इस डेटा के आधार पर यातायात सुधारने के लिए योजना तैयार की जा सकेगी।

दूसरी बार जारी किया गया टेंडर
परिवहन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि परियोजना के लिए यह दूसरी बार टेंडर जारी किया गया है। इससे पहले मार्च में भी टेंडर जारी किया गया था, लेकिन अपेक्षाकृत बोलीदाता नहीं आए, ऐसे में अब दूसरी बार टेंडर प्रक्रिया शुरू की गई है। 14 अक्तूबर को इसके लिए टेंडर डाला जाएगा। अधिकारियों ने बताया कि दिल्ली के 500 जंक्शनों पर यह कैमरे लगाए जाएंगे। इसमें कैमरों की संख्या असीमित होगी। परियोजना निजी कंपनी के हाथ में होगी। सरकार इसमें निवेश नहीं करेगी। चालान से प्राप्त राशि से ही कंपनी को राजस्व दिया जाएगा। परियोजना को तीन चरण में पूरा किया जाएगा। काम मिलने के पहले साल में कंपनी को 20 फीसदी काम पूरा करना होगा।

22 तरह के नियमों पर होगी कार्रवाई
इन कैमरों से तेज रफ्तार, रेड लाइट जंप, बिना हेलमेट, दोपहिया पर तीन सवार, वाहन चलाते समय फोन का इस्तेमाल, ओवरलोड वाहन, फर्जी नंबर प्लेट, उम्र पूरी कर चुके वाहन, गलत पार्किंग, गलत लेन में वाहन चलाना, बिना सीट बेल्ट के वाहन चलाना, बस लेन उल्लंघन, बिना पीयूसी समेत 22 तरह के नियम टूटने पर कार्रवाई की जाएगी।

खराब बसों से जाम का एप से होगा काम तमाम
डीटीसी और क्लस्टर बसों की खराबी से सड़कों पर लगने वाले जाम को खत्म करने की कवायद शुरू हो गई है। इसके लिए डीटीसी और ट्रैफिक पुलिस मिलकर एक एप तैयार करवा रही है। इससे सीधे तौर पर चलते-चलते खराब होने वाली बसों पर नजर रखी जाएगी। इसमें खास जोर खराब बसों की लोकेशन व समय, चालक व परिचालक की तरफ से इसे ठीक करने की हुई कोशिश, डिपो से मैकेनिक पहुंचने के समय समेत बस को चलाने की दूसरी कसरतों पर रहेगा। अगर बस स्टॉफ की तरफ से लापरवाही बरती गई तो उसको पता भी मुख्यालय को लग जाएगा।

डीटीसी का दावा है कि इस एप से मुख्यालय समेत सभी डिपो को रीयल टाइम अपडेट मिलती रहेगी। इससे जरूरत के हिसाब से तुरंत मौके पर मदद पहुंचाई जाएगी। अगर तय समय सीमा के भीतर यह ठीक हो सकी तो इसे दुरूस्त करके चलाया जाएगा। वहीं, अगर ठीक करने की हालत नहीं रही तो उसे हटवाने का इंतजाम किया जाएगा। फिलहाल इसका पायलट प्रोजेक्ट चल रहा है। आने वाले दिनों में जरूरी सुधारों के साथ इसे लॉन्च किया जाएगा।

बनाई रोड सेफ्टी ब्रेकडाउन एप
डीटीसी अधिकारी ने बताया कि तैयार होने वाले एप से बस, ड्राइवर, कंडेक्टर, मैकेनिक व डिपो अधिकारियों पर रियल टाइम अपडेट व नजर रखी जा सकेगी। यह देखा जा सकेगा कि बस कब खराब हुई और कितने समय में सड़क से हटाया जा सका। इस एप को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू कर दिया गया है। जल्द ही इसकी औपचारिक घोषणा की जाएगी। सूचना के आदान-प्रदान के लिए डीटीसी एमडी ने डीटीसी अधिकारियों व यातायात पुलिस अधिकारियों का वाट्सएप ग्रुप भी बनाया है।

डीटीसी अधिकारी बताते हैं कि खराब बसों को जल्द हटाने के लिए कई स्तरों पर काम हो रहा है। इसमें सूचना मिलते ही अब नजदीकी डिपो से मैकेनिक तुरंत मौके पर पहुंचेगा।

महिलाओं की सुरक्षा के लिए खत्म होंगे डार्क स्पॉट
दिल्ली में महिलाओं की सुरक्षा को मजबूत करने के लिए डार्क स्पॉट की पहचान कर उन्हें खत्म किया जाएगा। साथ ही ऐसी 500 महिलाएं तलाशी जाएंगी जो सार्वजनिक वाहन चलाने में रुचि रखती हैं। दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने महिला सुरक्षा पर टास्क फोर्स की 19वीं बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में एलजी ने दिल्ली सरकार के सभी विभागों और कार्यालयों से 15 दिन में सभी डार्क स्पॉट की पहचान कर 15 दिन में ठीक करने का आदेश दिया। साथ ही पहले और बाद की तस्वीरें साझा करने का आदेश दिया है।

एलजी ने दिल्ली पुलिस को सभी डार्क स्पॉट, विशेष रूप से बस स्टॉप के पास की पहचान करने, इसका नए सिरे से ऑडिट करने का निर्देश दिया। वहीं एलजी को बताया गया कि सेफ्टीपिन ऑडिट में 1406 डार्क स्पॉट की पहचान हुई। इसे खत्म करने की जरूरत है। एमसीडी कमिश्नर ने बताया कि इनमें से 1158 डार्क स्पॉट को रोशन किया जा चुका है। एलजी ने बाकी को एक माह में दूर करने का आदेश दिया है।

डार्क स्पॉट की सेफ्टीपिन ऑडिट में हुई पहचान
उद्देश्य : ड्रोन दीदी कार्यक्रम की सफलता को दोहरानाएलजी ने टास्क फोर्स को दिल्ली में सार्वजनिक वाहन चलाने में रुचि रखने वाली 500 महिलाओं की पहचान करने को कहा है ताकि उन्हें इसके लिए प्रशिक्षित किया जा सके। पहल का उद्देश्य ‘ड्रोन दीदी’ कार्यक्रम की सफलता को दोहराना है। परिवहन विभाग ने बताया कि अब तक 660 महिला ड्राइवर थ्री-व्हीलर ऑटो, 96 महिला ड्राइवर डीटीसी बस चलाती हैं, और 1100 बस कंडक्टर हैं। साथ ही 1121 बसों में पैनिक बटन लगाए जा चुके हैं, लेकिन इसे आपातकालीन कॉल नंबर 112 के साथ एकीकृत करने की आवश्यकता है।

दिल्ली में लगेंगे 10 हजार कैमरे
दिल्ली पुलिस ने एलजी को बताया कि संवेदनशील स्थानों पर 10 हजार एआई-सक्षम सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। संकट में महिलाओं की मदद के लिए 15 महिला पीसीआर वैन तैनात हैं। शहर में 15 साइबर अपराध पुलिस स्टेशन भी चालू किए गए हैं। इसके अलावा अन्य प्रयास भी किए गए। एलजी ने पुलिस को रियल टाइम में पीसीआर वैन में मौजूद लोगों को घटना से निपटने के लिए सतर्क रहने का निर्देश दिया।

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