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पंजाब में इन किसानों के नहीं बनेंगे लाइसेंस! रिन्यू करने पर लगी पाबंदी

पंजाब सरकार ने  पराली जलाने वाले किसानों पर शिकंजा कस दिया है। अब जो किसान अपनी फसलों में आग लगाएंगे, उन्हें कोई नया असला लाइसेंस जारी नहीं किया जाएगा और उनके पुराने लाइसेंस भी रिन्यू नहीं किए जाएंगे। सरकार के निर्देश के बाद पटियाला जिले के अतिरिक्त उपायुक्त ने ये आदेश जारी किए हैं।

इन दिनों किसान पूरा धान काटने के बाद अवशेष जला देते हैं, जिससे बड़े पैमाने पर पर्यावरण प्रदूषित होता है, जिसके चलते जिले में फसल अवशेष जलाने से रोकने के लिए सख्त कदम उठाए गए हैं। ए.डी.सी. ने नए असला लाइसेंस और पुराने असला लाइसेंस के नवीनीकरण करने के समय जमीनी रिकार्ड की पड़ताल करके ही असला लाइसेंस देने या नवीनीकरण की अगली कार्रवाई करने के आदेश जारी किए हैं। जारी आदेश के मुताबिक, फसल अवशेष जलाने वालों के नए असला लाइसैंस जारी नहीं किए जाएंगे और न ही पुराने असला लाइसेंस का नवीनीकरण किया जाएगा।

आग लगाने संबंधी की जाएगी जांच
अपर जिला मजिस्ट्रेट की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए यह जरूरी है कि जब कोई व्यक्ति नए असला लाइसेंस बनाने के लिए या पुराने लाइसेंस के नवीनीकरण के लिए आवेदन करता है तो संबंधित प्रार्थी/लाइसेंसी राजस्व रिकार्ड में जीरी/गेहूं के अवशेष को आग लगाने संबंधी राजस्व रिकार्ड के इंचार्ज की पड़ताल रिपोर्ट राजस्व अधिकारी से प्राप्त की जाएगी। रिकार्ड में अगर रेड एंट्री की प्रविष्टि दर्ज होगी तो प्रार्थी असला लाइसेंस को आर्म्ज एक्ट 1959 एवं 2016 की धारा 14(1) (बी) (1) (3) के तहत किसी भी कारण से लाइसेंस के लिए अयोग्य घोषित करते हुए उनका आवेदन खारिज कर दिया जाएगा।

सड़क हादसे व स्वास्थ्य पर भी पड़ता है बुरा असर : अधिकारी
अपर जिलाधिकारी कंचन ने कहा कि यह आम देखने में आता है कि किसान अपने खेतों में धान की पराली या धान या फसल के अवशेषों में आग लगा देते हैं, जिससे काफी प्रदूषण होता है। इस धुएं के कारण कई दुर्घटनाएं होती हैं और कीमती जानें चली जाती हैं।

इसके अलावा धुएं से जहरीली गैसें भी पैदा होती हैं, जो अन्य बीमारियों को बढ़ाती हैं। इस धुएं के कारण छोटे बच्चों के मस्तिष्क के विकास पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और आग के कारण भूमिगत तापमान बढ़ जाता है और खेतों में कार्बनिक पदार्थ भी जल जाते हैं, जिससे मिट्टी शुष्क और कठोर हो जाती है, इसकी जल अवशोषण क्षमता कम हो जाती है इसलिए फसलों की नाड़, डंठल और अवशेष जलाने से रोकने के लिए यह आदेश जारी किया गया है।

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