राजधानी के लोग शनिवार दोपहर उस समय चौंक उठे जब मुख्यमंत्री आतिशी और नेता विपक्ष विजेंद्र गुप्ता को एक ही कार में बैठे देखा। कार में आप के विधायक व मंत्री भी थे। विजेंद्र गुप्ता आगे की सीट पर बैठे थे। पक्ष व विपक्ष को एक साथ कार में बैठे देखना दिल्लीवासियों के लिए कौतूहल का विषय था। इससे पहले दिल्ली सचिवालय में मंत्री व विधायकों द्वारा नेता विपक्ष विजेंद्र गुप्ता के पैर पकड़ने के वायरल वीडियो को देखकर लोग पूरे माजरे को समझने की कोशिश करते रहे।
दरअसल, कैबिनेट नोट पास होने के बाद मुख्यमंत्री आतिशी नेता विपक्ष समेत भाजपा विधायकों को उपराज्यपाल कार्यालय चलने के लिए कह रही थीं। अचानक मंत्री सौरभ भारद्वाज और अन्य विधायक नेता विपक्ष के पैर पकड़ने लगे। इससे पहले कुछ मार्शलों ने भी कैबिनेट बैठक के दौरान भाजपा विधायकों के पैर पकड़े थे। आप नेताओं का कहना था कि नेता विपक्ष एलजी हाउस जाना नहीं चाहते थे और मौके से भाग रहे थे। इस कारण उनको रोका गया। इसकी बाद मुख्यमंत्री नीचे आईं और विजेंद्र गुप्ता की कार में बैठ गईं। इस पर विजेंद्र गुप्ता कार के इधर-उधर घूमते रहे और दूसरी कार मंगाने के लिए फोन करने लगे, लेकिन मंत्री सौरभ भारद्वाज ने जबरदस्ती उन्हें कार में बैठा लिया। इसके बाद विजेंद्र व आतिशी एलजी हाउस पहुंचे। रास्ते में एक-दो बार कार को मुड़वाने की कोशिश की गई।
इधर, एलजी से मुलाकात के बाद आश्वासन न मिलने पर बस मार्शल और दिल्ली सरकार के मंत्री व विधायक मार्शल के साथ धरने पर बैठ गए। बस मार्शलों के साथ मंत्री सौरभ भारद्वाज और मुकेश अहलावत, विधायक दिलीप पांडे, संजीव झा, कुलदीप कुमार, राजेश गुप्ता, रोहित महरौलिया, अजय दत्त सहित अन्य से एलजी से प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने की मांग रखी। साथ ही, कहा कि दिल्ली सरकार ने अपना वादा पूरा किया। अब आपकी बारी है। हालांकि, बाद में पुलिस ने मंत्री सहित अन्य को हिरासत में लेकर कुछ देर बाद दूर ले जाकर छोड़ दिया। धरने पर आए सौरभ भारद्वाज ने कहा कि भाजपा ने बस मार्शलों को धोखा दिया है। शनिवार को कैबिनेट नोट पर सभी मंत्रियों ने हस्ताक्षर कर दिए। अब एलजी के हस्ताक्षर का इंतजार है।
महिला मार्शल को लात मारने का आरोप
मंत्री सौरभ भारद्वाज ने आरोप लगाया कि एलजी हाउस के बाहर प्रदर्शन करने के दौरान विजेंद्र गुप्ता के पैर पकड़ने गई महिला मार्शल को उन्होंने लात मारी। इसके बाद जब सौरभ रोती हुई उस महिला को पुलिस के पास लेकर गए और उसकी शिकायत लिखने के लिए कहा तो शिकायत दर्ज करने की जगह पुलिसकर्मी हंसते हुए चले गए। महिला ने भी इस बात की पुष्टि की।
क्या है पूरा घटनाक्रम
साल 2015 में सरकार ने बस मार्शल नियुक्त करने का फैसला लिया
मुख्यमंत्री की सहमति पर कैबिनेट से मंजूरी पर करीब 10 हजार बस मार्शलों को तैनात किया गया
2022 तक करीब 8 साल बिना किसी बाधा के काम करते रहे काम
2023 की शुरुआत में वेतन रोका गया
एक नवंबर 2023 को बस मार्शलों को नौकरी से हटाया गया
इनके पक्ष में तत्कालीन मंत्री आतिशी ने 15 नवंबर 2023 को तत्कालीन सीएम को चिट्ठी लिखी
तत्कालीन परिवहन मंत्री ने नियमित करने के लिए अक्तूबर 2023 में लिखा था नोट
एलजी ने 5 दिसंबर 2023 को नोट लिखकर कहा कि मार्शल केवल डिजास्टर मैनेजमेंट में दे सकते हैं सेवा
अरविंद केजरीवाल ने 27 अक्तूबर 2023 को एलजी को चिट्ठी लिखकर इन्हें हटाने पर आपत्ति जताई