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दिल्ली : सॉलिड वेस्ट से ऊर्जा उत्पादन संयंत्र और सिंघोला में बायो-माइनिंग होगी शुरू

दिल्ली में लंबे समय से चली आ रही कूड़ा प्रबंधन की समस्या को हल करने के लिए उपराज्यपाल की ओर से एमसीडी के आयुक्त को वित्तीय अधिकार देने से दो योजनाओं को पंख लगेंगे। एक योजना से कूड़े का निपटान ही नहीं होगा, बल्कि उससे बिजली भी बनेगी। इस तरह एक ओर कूड़े की समस्या दूर होगी वहीं दूसरी ओर बिजली की मांग पूरी करने में मदद मिलेगी।

दूसरी योजना से कचरे व गाद की समस्या दूर होगी। दरअसल प्रतिवर्ष नालों की सफाई करने के दौरान उनमें से कई लाख टन कचरा व गाद निकलती है। उपराज्यपाल ने इन दोेनों योजनाओं को स्वीकृति देने के आयुक्त को अधिकार दिए है। लिहाजा इन दोनों योजनाओं पर अगले साल की शुरूआत में कार्य शुरू हो जाएगा।

इन दोनों योजनाओं के क्रियान्वयन के बाद दिल्ली की कूड़ा प्रबंधन क्षमता में व्यापक सुधार होगा। इन परियोजनाओं से न केवल कूड़े की समस्या से निपटने में मदद मिलेगी, बल्कि यह पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए भी एक महत्वपूर्ण कदम होगा। स्थायी समिति का गठन नहीं होने के कारण यह दोनों योजनाएं काफी समय से लटकी हुई थी।

सिंघोला में बायो-माइनिंग की 46 करोड़ की योजना
सिंघोला में कचरे और गाद के निपटान के लिए बायो-माइनिंग की योजना है। आयुक्त को अधिकार मिलने के बाद इस योजना को भी स्वीकृति मिलेगी। इस योजना पर 46 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।

बायो-माइनिंग के तहत कचरे और गाद को वैज्ञानिक तरीकों से प्रोसेस किया जाएगा। इसमें जैविक और पुनः उपयोगी सामग्री को अलग किया जाएगा और शेष कचरे को पर्यावरण के अनुकूल तरीके से नष्ट किया जाएगा। यह परियोजना पर्यावरण को सुरक्षित रखने के साथ-साथ सार्वजनिक स्वास्थ्य पर भी सकारात्मक प्रभाव डालेगी।

3000 मीट्रिक टन सॉलिड वेस्ट से ऊर्जा उत्पाद न संयंत्र स्थापित होगा
नरेला-बवाना में प्रस्तावित 3000 मीट्रिक टन क्षमता वाले सॉलिड वेस्ट से ऊर्जा उत्पादन संयंत्र की योजना को अब अंततः हरी झंडी मिल जाएगी। यह संयंत्र ठोस कचरे को प्रोसेस कर उससे बिजली का उत्पादन करेगा, जो एक स्वच्छ और सतत ऊर्जा स्रोत साबित होगा। इस परियोजना का बजट लगभग 600 करोड़ रुपये रखा गया है और इसके पूरा होने पर नरेला-बवाना क्षेत्र के साथ-साथ पूरे दिल्ली शहर को कचरे के निपटान में काफी मदद मिलेगी। इस संयंत्र के माध्यम से न केवल कूड़े की समस्या का समाधान होगा, बल्कि इससे उत्पादित ऊर्जा को भी शहर की बिजली जरूरतों को पूरा करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकेगा।

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