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दक्षिण कोरिया में लोग ‘अकेलेपन’ का शिकार, हर साल हजारों की हो रही मौत

दक्षिण कोरिया में एक शांत संकट सामने आ रहा है। हर साल हजारों लोग खासकर युवा लोग देश में अकेलपन से मर रहे हैं। कई लोग जो हफ्तों तक परिवार या दोस्तों से दूर हैं, वो इस बीमारी का शिकार हो रहे हैं, उन पर ध्यान नहीं दिया जाता है। सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार, कोरियाई में ‘गोडोकसा’ के रूप में जानी जाने वाली ये ‘अकेली मौतें’ देश में अलगाव और वियोग की बढ़ती लहर का हिस्सा हैं।

अकेलेपन की इस महामारी से निपटने के लिए सरकार तेजी से काम कर रही है। इस हफ्ते, सियोल शहर के अधिकारियों ने एक महत्वाकांक्षी योजना का एलान किया। उनका ये प्लान इस मद्देनजर किया गया कि एक “ऐसा शहर जहां कोई भी अकेला न हो” बनाने के लिए सरकार अगले पांच सालों में 451.3 बिलियन वोन (लगभग 327 मिलियन डॉलर) की आश्चर्यजनक राशि खर्च करेगी।

क्यों बढ़ रहा अकेलापन?

अकेलापन एक वैश्विक मुद्दा है, दक्षिण कोरिया का सांस्कृतिक दबाव इसके प्रभावों को बढ़ाता हुआ प्रतीत होता है। मनोविज्ञान के प्रोफेसर एन सू-जंग के अनुसार, कई कोरियाई लोग न केवल सामाजिक अलगाव के कारण अकेलापन महसूस करते हैं, बल्कि अयोग्यता या विफलता की गहरी भावनाओं के कारण भी अकेलापन महसूस करते हैं। एन कहते हैं, “लोग कहते हैं कि जब उन्हें लगता है कि वे योग्य नहीं हैं या उनमें उद्देश्य की कमी है तो वे बहुत अकेलापन महसूस करते हैं।”

50 और 60 साल के पुरुषों को ज्यादा खतरा

मौत को लेकर जो आंकड़े सामने आ रहे हैं, वो चिंताजनक हैं। स्वास्थ्य और कल्याण मंत्रालय ने 2023 में अकेले 3,661 मौतों की सूचना दी। जो पिछले सालों की तुलना में लगातार वृद्धि है। हालांकि इनमें से कई मौतें दक्षिण कोरिया की बढ़ती आबादी और घटती जन्म दर से जुड़ी हैं, लेकिन 50 और 60 साल के पुरुषों को सबसे अधिक खतरा है, जो पिछले साल हुई कुल अकेले मौतों में से आधे से अधिक हैं।

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