बिना वित्त पर सहमति बने समाप्त हुआ संयुक्त राष्ट्र प्रकृति सम्मेलन
कोलंबिया के कैली में शनिवार को 16वां संयुक्त राष्ट्र जैव विविधता सम्मेलन खत्म हुआ। यह सम्मेलन अपने तय समय से 12 घंटे ज्यादा चला, लेकिन जैव विविधता संरक्षण के लिए धन बढ़ाने पर कोई समझौता नहीं हुआ। इस सम्मेलन में भाग लेने वाले देशों ने एक नया वैश्विक कोष स्थापित करने पर भी सहमति जताई है।
कोलंबिया के कैली में शनिवार को 16वां संयुक्त राष्ट्र जैव विविधता सम्मेलन खत्म हुआ। यह सम्मेलन अपने तय समय से 12 घंटे ज्यादा चला, लेकिन जैव विविधता संरक्षण के लिए धन बढ़ाने पर कोई समझौता नहीं हुआ। यह सम्मेलन अब तक का सबसे बड़ा सम्मेलन था, जिसमें इसमें एक सहायक निकाय बनाने पर सहमति हुई, जो भविष्य में जैव विविधता संरक्षण में स्वदेशी लोगों की भागीदारी को बढ़ावा देगा। बता दें कि इस सम्मेलन में भाग लेने वाले देशों ने एक नया वैश्विक कोष स्थापित करने पर भी सहमति जताई है।
पेटीसिया जुरिटा का बयान
वहीं इस मामले में कंजर्वेशन इंटरनेशनल की पेट्रीसिया ज़ुरिटा ने कहा कि जैव विविधता के लिए मजबूत वित्तीय समझौता न होने से खतरा बढ़ता है और हमें अब और कार्रवाई में देरी नहीं करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इस सम्मेलन से स्वदेशी लोगों की आवाज को बुलंद करने का एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। इसके साथ ही विश्व संसाधन संस्थान की क्रिस्टल डेविस ने कहा कि नए कोष के माध्यम से विकासशील देशों को जैव विविधता की रक्षा के लिए नए वित्तीय स्रोत मिलेंगे।
क्या है मुख्य उद्देश्य
वहीं बात अगर COP16 के उद्देश्य की करें तो 2022 में कनाडा में हुए समझौते की प्रगति का मूल्यांकन करना था, जिसमें जैव विविधता संरक्षण के लिए अधिक वित्तीय सहायता एक प्रमुख मुद्दा था। वहीं इस वार्ता में धनी देशों और विकासशील देशों के बीच स्पष्ट मतभेद दिखाई दी। धनी देशों ने धन बढ़ाने में हिचकिचाहट दिखाई, जबकि विकासशील देशों ने कहा कि उन्हें बिना अतिरिक्त वित्तीय सहायता के अपने प्रयास बढ़ाने में कठिनाई होगी।
जानकारी के अनुसार 2022 में कनाडा में हुए COP15 में जैव विविधता संरक्षण के लिए 23 लक्ष्य तय किए गए थे, जिसमें 30% भूमि और समुद्री क्षेत्रों को सुरक्षित करना और 30% बिगड़े हुए पारिस्थितिकी तंत्र को बहाल करना शामिल है। हालांकि, आर्थिक सहयोग और विकास संगठन के अनुसार, 2022 में केवल लगभग 15 बिलियन अमेरिकी डॉलर ही उपलब्ध थे, जबकि देशों ने हर साल 200 बिलियन डॉलर देने का वादा किया था।