दौसा में उपचुनाव को लेकर कल यानी बुधवार को मतदान होना है। लेकिन इससे ठीक पहले यहां नामांकन प्रक्रिया में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए हाईकोर्ट में याचिका लगाई गई है। हाईकोर्ट इस पर आज यानी मंगलवार को सुनवाई करेगा।
राजस्थान के दौसा उपचुनाव के लिए कल मतदान होना है। उपचुनाव वाली सभी विधानसभाओं में प्रचार पर भी रोक लग चुकी है। लेकिन अब एक याचिकाकर्ता ने दौसा उपचुनाव में चुनाव लड़ने की मांग को लेकर राजस्थान हाईकोर्ट पहुंच गया है। याचिकाकर्ता का आरोप है कि उसे जानबूझकर दौसा विधानसभा के उपचुनाव में हिस्सा नहीं लेने दिया गया। इसके साथ ही याचिका में यह मांग की गई है कि उसका नामाकंन पत्र स्वीकार कर उसे चुनाव प्रक्रिया में शामिल किया जाए।
बता दें कि इसके लिए अधिवक्ता नरेंद्र कुमार मीणा की ओर से राजस्थान हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई है, जिस पर आज यानी मंगलवार को सुनवाई होनी है। इस याचिका में मुख्य निर्वाचन आयुक्त, नई दिल्ली, राज्य के मुख्य निर्वाचन आयुक्त, जिला निर्वाचन अधिकारी दौसा और दौसा के रिटर्निंग अधिकारी को पक्षकार बनाया गया है।
मामले से जुड़े अधिवक्ता सुरेश कुमार शर्मा और अधिवक्ता डॉ. विभूतिभूषण शर्मा ने बताया कि याचिकाकर्ता भी दौसा विधानसभा के उपचुनाव में प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ना चाहता है। ऐसे में उसने रिटर्निंग अधिकारी के समक्ष नामांकन दाखिल किया है। लेकिन रिटर्निंग अधिकारी ने जान बूझकर उसका नामांकन पत्र नहीं लिया और बाद में उच्चाधिकारियों के साथ वीसी में व्यस्त होना बताकर नामांकन पत्र लेने से ही इनकार कर दिया।
याचिका में यह भी कहा गया कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा-34 में प्रावधान है कि विधानसभा चुनाव में एसटी वर्ग के उम्मीदवार से पांच हजार रुपये लिए जाएंगे। इसके बावजूद भी प्रावधानों की अवहेलना कर उससे दस हजार रुपये की वसूली कर रसीद दी गई। याचिका में कहा गया कि जब उससे फीस वसूल की गई है तो रिटर्निंग अधिकारी का दायित्व था कि वह उसका नामांकन पत्र भी स्वीकार करते।
वहीं, उसे अन्य विधानसभा क्षेत्र के मौजूदा एमएलए की ओर से भी फोन कर किसी अन्य प्रत्याशी के पक्ष में समर्थन देने की बात कही गई। ऐसे में उसे जान बूझकर दौसा विधानसभा के उपचुनाव में हिस्सा नहीं लेने दिया गया। याचिका में गुहार की गई है कि उसका नामाकंन पत्र स्वीकार कर उसे चुनाव प्रक्रिया में शामिल किया जाए।