एम्स में इलाज करवाने आ रही महिलाओं की समस्याओं को देखते हुए प्रशासन ने सुरक्षा गार्ड में एक तिहाई संख्या महिलाओं की करने का निर्णय लिया है। साथ ही महिलाओं की ड्यूटी लगाने वाले अधिकारियों के पदों पर भी महिलाओं को आरक्षण मिलेगा। इसे लेकर एम्स के निदेशक डॉ. एम श्रीनिवास ने आदेश जारी किया है।
आदेश के तहत एम्स में करीब 3200 सुरक्षा गार्ड हैं। इनमें अधिकतर पुरुष हैं। महिला मरीजों की समस्या को देखते हुए संस्थान में नियुक्त सुरक्षा गार्ड में महिलाओं की संख्या को बढ़ाने का फैसला लिया गया है।
प्रशासन का कहना है कि सुरक्षा गार्ड में महिलाओं की संख्या बढ़ने पर मरीजों के साथ स्टाफ की सुरक्षा भी पुख्ता होगी। साथ ही महिलाएं अपनी बात तक बिना किसी झिझक के रख सकेंगी। खासकर मातृ एवं शिशु ब्लाक में अभी बड़ी संख्या में पुरुष सुरक्षा गार्ड तैनात हैं। एम्स में तैनात ज्यादातर सुरक्षा कर्मी आउट सोर्सिंग के आधार पर नियुक्त किए गए हैं।
एम्स निदेशक द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि सुरक्षा गार्डों में महिला सुरक्षा कर्मियों की संख्या बहुत कम है। सुरक्षा गार्डों की ड्यूटी लगाने वाले असाइनमेंट मैनेजर व सुरक्षा पर्यवेक्षक भी पुरुष होते हैं। इस व्यवस्था में बदलाव होना चाहिए। नए नियम के तहत एम्स में तैनात सुरक्षा गार्डों मेंं कम से कम एक तिहाई महिलाएं होनी चाहिए।
बता दें कि बीते समय एक महिला सुरक्षा कर्मी ने रात में ड्यूटी लेकर एम्स प्रशासन से शिकायत की थी। उस महिला सुरक्षा कर्मी का आरोप था कि पारिवारिक मजबूरियों के कारण वह रात की पाली में ड्यूटी करने में असमर्थ थीं लेकिन अधिकारी उसकी गुहार सुनने को तैयार नहीं थे।
एम्स प्रशासन की मानें तो ओपीडी में रोजाना 15 हजार के करीब मरीज इलाज करवाने पहुंचते हैं। इनमें बड़ी संख्या में महिलाओं होती हैं। कई बार महिलाएं झिझक के कारण पुरुष सुरक्षा गार्ड से अपनी बात नहीं कह पाती। इसी के मद्देनजर यह निर्णय लिया गया है।