डिफरेंशियल ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (डीजीपीएस) विवादित संपत्ति का पता लगाने में कैसे मदद करता है, यह जानने के लिए पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस चैटबोट चैटजीपीटी की सहायता ली है।
मामला एक संपत्ति विवाद से संबंधित है, जिसमें संपत्ति का आकार सवालों के घेरे में था। याचिकाककर्ता ने उनकी जमीन का मापन (नपाई) सही से नहीं होने का आरोप लगाया था। इसके लिए उसने करनाल नायब तहसीलदार व जूनियर इंजीनियर को गवाही के लिए अदालत बुलाने का आवेदन किया गया था, जिसे करनाल की अदालत ने अस्वीकार कर दिया। इसी आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई।
हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान जस्टिस दीपक गुप्ता के सामने विवादित संपत्ति का पता लगाने या सीमांकन करने में डीजीपीएस प्रणाली के प्रभावी होने का मामला उठा। इस पर जस्टिस गुप्ता ने चैटजीपीटी पर मिले उत्तर के बाद निष्कर्ष निकाला कि डीजीपीएस सेंटीमीटर स्तर की सटीकता प्रदान करता है। यह विशेष रूप से कानूनी विवादों में सटीक संपत्ति सीमाओं को निर्धारित करने के लिए महत्वपूर्ण है। हाईकोर्ट ने माना कि संपत्ति को मापने या सीमांकन करने के लिए डीजीपीएस की प्रणाली आधुनिक तकनीक है। इसके बाद कोर्ट ने याचिका पर फैसला सुनाते हुए कहा कि करनाल कोर्ट का आदेश किसी भी अवैधता या विकृति से ग्रस्त नहीं है, क्योंकि नायब तहसीलदार ने डीजीपीएस की मदद से ही संपत्ति का सीमांकन किया था।