आवारा गोवंश के लिए गो वन्य विहार बनाने कल्याणपुरा के पास 206 एकड़ जगह चिह्नित
वेटरनरी विभाग के सहायक संचालक डॉ. संजय पांडे ने बताया कि गो वन्य विहार की रूपरेखा अभी तय नहीं हुई है। अभी केवल प्रस्ताव भेजा गया है। वहां से स्वीकृति मिलने के बाद इसके संचालन की गाइडलाइन तय होगी।
दमोह छतरपुर मार्ग पर जिले के नरसिंहगढ़ के पास कल्याणपुरा में निराश्रित गोवंश को रखने के लिए गो वन्य विहार बनाने का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। इसके लिए यहां पर 206 एकड़ जमीन तलाशी गई है।
शासन से स्वीकृति मिलने के बाद इसमें सरकार बेसहारा गोवंश रखेगी। 20 दिन पहले वन्य विहार के लिए जगह तलाशी गई थी, जिसके बाद जिला प्रशासन ने सरकारी जमीन उपलब्ध कराई है। अधिकारियों के मुताबिक, ऐसा होने से सड़कों पर आवारा घूमने वाले गोवंश को एक जगह रखा जा सकेगा।
इससे पहले विभाग ने अलग-अलग प्रस्ताव मंगाए थे और प्रस्ताव में शर्त रखी गई थी कि जिन जिलों में 200 एकड़ से लेकर 500, 1000 एकड़ तक जमीन उपलब्ध होगी, वहां पर ही वन्य विहार बनाए जाएंगे। इसी तरह सागर के बीना देवल गांव में और टीकमगढ़ के चरपुआ में गो वन्य विहार के लिए जगह खोजकर स्वीकृति के लिए प्रस्ताव शासन को भेजा गया है, जबकि दमोह में पथरिया विधानसभा के नरसिंहगढ़ के कल्याणपुरा, बिजौरा और रानगिर के पास जगह तलाशी गई है। तीनों गांवों को मिलाकर गो वन्य विहार तैयार होगा।
वेटरनरी विभाग के सहायक संचालक डॉ. संजय पांडे ने बताया कि गो वन्य विहार की रूपरेखा अभी तय नहीं हुई है। अभी केवल प्रस्ताव भेजा गया है। वहां से स्वीकृति मिलने के बाद इसके संचालन की गाइडलाइन तय होगी। उन्होंने बताया कि गो वन्य विहार में उन गायों को रखा जाएगा जो निराश्रित हैं। उन्हें लोग सड़कों पर आवारा छोड़ देते हैं।
ऐसी गायों को रखने के लिए वन विहार में पूरा इंतजाम होगा। उनकी सुरक्षा का पूरा इंतजाम किया जाएगा। वह बाहर न आएं, इसके लिए फेंसिंग या बाउंड्रीवॉल बनाए जाएंगे।
शिवभक्तों ने गोचर भूमि की उठाई मांग
बांदकपुर के शिवभक्तों ने मंगलवार को कलेक्ट्रेट पहुंचकर ज्ञापन दिया। जिसमें बताया कि जिले के प्रसिद्ध हिंदू तीर्थ श्री जागेश्वर धाम बांदकपुर में 100 करोड़ की लागत से भव्य विशाल ऐतिहासिक कॉरिडोर निर्माण होने जा रहा है। इससे बांदकपुर धाम में व्यवस्थित विकास के अनेक कार्य होंगे।
साथ ही भविष्य को देखते हुए लाखों भक्तों, श्रद्धालुओं की संख्या व उनके लिए अनेक सुविधा व्यवस्था के लिए धाम के आसपास पड़ी भूमि का उपयोग भी होगा। इसमें मंदिर ट्रस्ट की भूमि के साथ-साथ गोचर और शासकीय भूमि का उपयोग भी हो सकता है। इसलिए अब इन सभी भूमियों का तीर्थ के विकास और सौंदर्यकरण के लिए भूमि का संरक्षण और सुरक्षा सुनिश्चित करना आवश्यक है।