150 साल प्राचीन बरांडे का सात माह बाद भी नहीं हो पाया पुनर्निर्माण, 80 लाख की लागत से होना था काम
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दमोह शहर के गांधी चौक के पास स्थित प्राचीन हॉकगंज बरंडा को गिरे सात माह बीत चुके हैं, लेकिन प्रशासन द्वारा अब तक इसे व्यवस्थित नहीं किया गया है। जबकि 80 लाख का एस्टीमेट बनाकर कलेक्टर को दिया था। बरंडा की सौ फीट ऊंचाई पर टूटे हुए हिस्से में अभी भी बड़े-बड़े पत्थर दीवार के सहारे बाहर निकले हुए हैं। जो किसी भी दिन नीचे गिर सकते हैं, जिससे बड़ा हादसा होने की आशंका है। क्योंकि बरंडा के बीचों बीच शहर का गल्ला बाजार लगता है।
जहां पर शहर के अलावा आसपास के गांव के लोग रोजाना अनाज खरीदने आते हैं। इससे यहां पर सुबह से लेकर देर शाम तक भीड़ बनी रहती है। रविवार को पूरे परिसर में पैर रखने की जगह नहीं होती, लेकिन लोग इसी टूटे हुए पुराने बरंडा के नीचे से होकर निकलते हैं। जिम्मेदारों द्वारा इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
बता दें 18 मई 2024 को बरंडा के बाजू में स्थित एक मकान की खुदाई के दौरान पोकलेन मशीन का धक्का लगने से बरंडा भरभराकर गिर गया था। रात में करीब 10 बजे हादसा होने की वजह से यहां पर बड़ी जनहानि होने से बच गई थी। इस लापरवाही के चलते जिला प्रशासन द्वारा मकान मालिक के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराई गई थी। बाद में यह तय किया गया था कि बरंडा को दोबारा उसी डिजाइन पर नए सिरे से बनवाया जाएगा। जिसके लिए जो भी खर्चा आएगा, उसे मकान मालिक द्वारा दिया जाएगा। लेकिन अब यह मामला ठंडे बस्ते में है। पुराने बरंडा की जगह उसी डिजाइन का बरंडा नए सिरे से बनाने के लिए जिला प्रशासन के आग्रह पर पुरातत्व विभाग की दो सदस्यीय टीम ने यहां का जायजा लिया था। इसमें उन्होंने उसी डिजाइन का बरंडा बनाने के लिए 80 लाख का एस्टीमेट बनाकर कलेक्टर को दिया था। इसके अलावा परिसर में बने दो अन्य बरंडा परिसर में अतिक्रमण को लेकर भी अपनी रिपोर्ट प्रशासन को सौंपी थी।
दमोह एसडीएम आरएल बागरी का कहना है बरंडा को नए सिरे से बनवाने के लिए प्रोसेस चल रही है। अभी तात्कालिक रूप से जो पत्थर निकलते हैं, उसे सीएमओ से बोलकर दिखवा लेता हूं। यदि खतरा है तो उन पत्थरों हटवा देंगे।