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उज्जैन: पचरंगी पगड़ी में सजे महाकाल, बाबा के आंगन में महाशिवरात्रि की तैयारियां शुरू

कलेक्टर नीरज कुमार सिंह ने बताया कि पिछली बार महाशिवरात्रि के अवसर पर 6 लाख श्रद्धालु उज्जैन पहुंचे थे, इस बार भी इतने ही श्रद्धालु आने की उम्मीद लगाई जा रही है। इसे लेकर श्री महाकालेश्वर मंदिर तैयारियां शुरू हो गई हैं।

महाशिवरात्रि को देखते हुए उज्जैन के श्री महाकालेश्वर मंदिर में तैयारियां शुरू हो गई हैं। श्री महाकालेश्वर मंदिर के मुख्य शिखर की धुलाई, मंदिर के रंग-रोगन (पुताई), कोटितीर्थ कुंड की सफाई, गर्भगृह व अन्य परिसर आदि की सफाई की जा रही है। श्री महाकालेश्वर मंदिर में शिवनवरात्रि महापर्व 17 फरवरी से 26 फरवरी तक नौ दिनों तक मनाया जाएगा।

कलेक्टर नीरज कुमार सिंह ने बताया कि पिछली बार महाशिवरात्रि के अवसर पर 6 लाख श्रद्धालु उज्जैन पहुंचे थे, इस बार भी इतने ही श्रद्धालु आने की उम्मीद लगाई जा रही है। महाशिवरात्रि के लिए श्री महाकालेश्वर मंदिर के गर्भगृह में रुद्रयंत्र व रजत दीवारों की सफाई का कार्य भी जल्द शुरू किया जाएगा। महाशिवरात्रि पर ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर के दर्शन, पूजन के लिए देशभर से बड़ी संख्या में श्रद्धालु महाकाल मंदिर आएंगे।

10 दिन तक भगवान महाकाल अलग-अलग रूपों में भक्तों को दर्शन देंगे। श्रद्धालुओं को सुलभ दर्शन के लिए दो प्रमुख बदलाव किए गए हैं। प्रवेश द्वार त्रिवेणी संग्रहालय, नीलकंठ द्वार, अवंतिका द्वार हर जगह पर संकेतक लगाए जाएंगे, ताकि आने वाले श्रद्धालुओं को पता चल सके कि उन्हें कहां से प्रवेश करना है। इस बार ज्यादा से ज्यादा श्रद्धालुओं को सुलभ दर्शन करवाने के लिए टनल का पूरी क्षमता से उपयोग किया जाएगा। सामान्य, वीवीआईपी, बुजुर्ग, दिव्यांग सभी के लिए अलग व्यवस्था बनाई जा रही है। इसके लिए प्रबंध समिति सदस्यों, पुजारियों, मंदिर से जुड़े मानसेवियों, प्रशासनिक अफसरों से विचार किया जा रहा है।

पचरंगी पगड़ी में सजे बाबा महाकाल
इधर, बुधवार को कालों के काल बाबा महाकाल भस्म आरती के दौरान पचरंगी पगड़ी से श्रृंगारित हुए। श्री महाकालेश्वर मंदिर में सुबह 4 बजे हुई भस्म आरती के दौरान बाबा महाकाल का पंचामृत पूजन-अभिषेक कर आकर्षक स्वरूप में श्रृंगार किया गया। इस दौरान बाबा महाकाल को रुद्राक्ष की माला अर्पित की गई। श्रृंगार के बाद उन्हें भस्म रमाई गई, जिसके बाद भक्तों ने दिव्य दर्शनों का लाभ लिया।

विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी पंडित महेश शर्मा ने बताया कि पौष माह माघ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि पर बुधवार को बाबा महाकाल सुबह 4 बजे जागे। भगवान वीरभद्र और मानभद्र की आज्ञा लेकर मंदिर के पट खोले गए। जिसके बाद सबसे पहले भगवान को गर्म जल से स्नान करवाकर दूध, दही, शहद, शक्कर, घी आदि पंचामृत से स्नान कराया गया और प्रथम घंटाल बजाकर “हरि ओम” का जल अर्पित किया गया।

पंचामृत पूजन के बाद भगवान महाकाल का पूजन सामग्री से आकर्षक स्वरूप में श्रृंगार किया गया। भक्तों ने बाबा महाकाल की भक्ति में लीन होकर दर्शन किए और “जय श्री महाकाल” का उद्घोष किया। इसके बाद बाबा महानिर्वाणी अखाड़े के द्वारा महाकाल को भस्म रमाई गई और फिर कपूर आरती की गई।

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