भारत में पाई जाती हैं 5 दुर्लभ बीमारियां, नाम सुनकर उड़ जाएंगे होश

दुनियाभर में आज रेयर डिजीज डे (Rare Disease Day 2025) मनाया जा रहा है। यह दिन हर साल फरवरी के आखिरी दिन 28 या लीप ईयर में 29 फरवरी को मनाया जाता है। इस दिन दुनियाभर में रेयर डिजीज से पीड़ित लोगों के लिए निदान और उन तक सही इलाज पहुंचाने और इसे लेकर लोगों को जागरूक करने के मकसद से मनाया जाता है।
पूरी दुनिया में कई लोग अलग-अलग तरह की रेयर डिजीज से पीड़ित हैं। खुद भारत में ऐसे कई लोग हैं, जो कई ऐसी दुर्लभ बीमारियों का शिकार हैं, जिसके बारे में शायद ही लोग जानते हैं। भारतीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक लगभग 7000 ज्ञात दुर्लभ बीमारियां हैं, जो दुनिया की लगभग 8% आबादी को प्रभावित करती हैं। इन दुर्लभ बीमारी के 75% मरीज बच्चे होते हैं। ऐसे में आज इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे भारत में मौजूद 5 गंभीर दुर्लभ बीमारियों के बारे में-
लाइसोसोमल स्टोरेज डिसऑर्डर
यह एक गंभीर मेडिकल कंडीशन है, जो टॉक्सिन बिल्डअप का कारण बनता है। इसकी वजह से शरीर के सेल्स और अंगों को नुकसान पहुंचाता है। शोधकर्ताओं ने 70 से ज्यादा प्रकार के एलएसडी का पता लगता है। आमतौर पर इसकी पहचान प्रेग्नेंसी या शैशवावस्था (infancy) के दौरान की जाती है। इसके निदान में खून और यूरिन टेस्ट की मदद ली जाती है। वहीं, इसके इलाज में एंजाइम रिप्लेसमेंट थेरेपी, स्टेम सेल ट्रांसप्लांट्स और दवाएं शामिल होती हैं।
लैरॉन सिंड्रोम
लैरॉन सिंड्रोम एक ऐसी स्थिति है, जिसमें शरीर ग्रोथ हार्मोन का इस्तेमाल करने में असमर्थ होता है। यह मुख्य रूप से छोटे कद का कारण बनता है। इसके अन्य संकेत और लक्षण अलग-अलग होते हैं, लेकिन इसमें शरीर में अंगों का छोटा होना (हाथ और पैर), प्यूबर्टी में देरी, बालों का पतला होना, मोटापा आदि शामिल हैं। यह जीएच रिसेप्टर जीन में बदलाव के कारण होता है और ऑटोसोमल रिसेसिव तरीके से विरासत में मिलता है।
क्रोनिक ग्रैनुलोमेटस डिजीज
क्रोनिक ग्रैनुलोमेटस डिजीज या सीजीडी, एक जेनेटिक कंडीशन है, जिसमें व्हाइट ब्लड सेल्स आपके शरीर को संभावित हानिकारक बैक्टीरिया और फंगस से बचाने में असमर्थ होती हैं। इससे आप गंभीर संक्रमण के प्रति संवेदनशील हो जाते हैं।
सीवियर कंबाइंड इम्युनोडेफिशिएंसी
सीवियर कंबाइंड इम्युनोडेफिशिएंसी (एससीआईडी) के कारण बच्चे बहुत कम या बना इम्यून सिस्टम के पैदा होते हैं। इसका मतलब है कि सामान्य तौर पर होने वाले माइल्ड इंफ्केशन भी इसके लिए घातक हो सकते हैं, क्योंकि उनके शरीर में पर्याप्त मजबूत नेचुरल इम्यून सिस्टम नहीं होता है। स्टेम सेल ट्रांसप्लांट ही इसका एकमात्र परमानेंट इलाज है।
फैंकोनी एनीमिया
फैंकोनी एनीमिया (एफए) एक रेयर जेनेटिक कंडीशन है, जो आपके बोन मैरो और आपके शरीर के कई अन्य हिस्सों को प्रभावित करती है। एफए वाले लोगों में ब्लड डिसऑर्डर और कुछ तरह के कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है। एफए शारीरिक असामान्यताओं का भी कारण बनता है, जो लोगों के अंगों और लुक को प्रभावित कर सकता है।