अध्यात्म

बरसाना में आज लट्ठमार होली, जानिए कैसे शुरू हुई ये परंपरा

पंचांग के अनुसार, हर साल फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि पर होली का त्योहार मनाया जाता है। इसके एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है। होली के दिन देशभर में लोगों में बेहद उत्साह देखने को मिलता है। इस दिन लोग मित्रों और परिवार के सदस्यों को रंग और गुलाल लगाकर गले मिलते हैं और पर्व को मनाते हैं। इस त्योहार को देश में कई तरह से मनाया जाता है। वहीं, ब्रज में इस उत्सव की शुरुआत कुछ दिन पहले ही हो जाती है। भक्त राधा कृष्ण के रंग में रंग जाते हैं।

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि होली से पहले मथुरा में लड्डू मार होली, लट्ठमार होली और रंगभरी होली समेत कई तरह से पर्व को मनाया जाता है। इन उत्सवों में अधिक संख्या में भक्त शामिल होते हैं। क्या आप जानते हैं कि लट्ठमार होली (Lathmar holi 2025 in barsana) की शुरुआत कैसे हुई? अगर नहीं पता, तो आइए हम आपको बताएंगे इस परंपरा के बारे में विस्तार से।

लट्ठमार होली 2025 डेट और टाइम
हर साल लट्ठमार होली का पर्व फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि तिथि पर मनाया जाता है। इस पर्व का भक्त बेसब्री से इंतजार करते हैं। पंचांग के अनुसार, फाल्गुन की नवमी तिथि की शुरुआत 07 मार्च को सुबह 09 बजकर 18 मिनट से हो गई है। वहीं, तिथि का समापन 08 मार्च को सुबह 08 बजकर 16 मिनट पर होगा। ऐसे में आज यानी 08 मार्च को लट्ठमार होली मनाई जा रही है।

इस तरह हुई शुरुआत
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार कृष्ण जी राधा रानी से मिलने बरसाना पहुंचे, तो राधा जी और सखियों को चिढ़ाने लगे। उनके इस व्यवहार को देख राधा जी और उनकी संग की सखियों ने कृष्ण जी और ग्वालों को लाठी से पीटते हुए दौड़ाने लगी। इस तरह उन्होंने सभी को सबक सिखाया। ऐसी मान्यता है कि तभी से बरसाना और नंदगांव में लट्ठमार होली की शुरुआत हुई।

इस तरह मनाते हैं लट्ठमार होली
लट्ठमार होली के दिन बरसाना की सखियां नंदगांव के ग्वालों पर लाठियां बरसाती हैं। इस दौरान वह अपना बचाव ढाल के द्वारा करते हैं। साथ ही गीत, पद-गायन की परंपरा को भी निभाया जाता है।

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