मध्यप्रदेशराज्य

भोपाल: आर्ट्स का प्रोफेसर 9 साल से साइंस कालेज का प्रिंसिपल,विधानसभा में गूंजा मामला

जबलपुर जिले का एक मामला विधान सभा तक पहुंच गया। कांग्रेस विधाक लखन घंघोरिया ने बताया कि शासकीय रॉबर्टसन कॉलेज जबलपुर का सबसे अच्छा कॉलेज माना जाता रहा है। लेकिन यहां आर्ट्स फैकल्टी का प्रोफेसर साइंस कॉलेज विंग में 9 साल से प्रिंसिपल बना बैठा है।

मध्य प्रदेश कॉलेज में जहां शिक्षकों की कमी है वहीं ज्यादातर कॉलेज प्रभारी प्रिंसिपलों के सहारे चाल रहे हैं। ऐसा ही एक मामले को लेकर विधानसभा में हंगामा मच गया। दरअसल विधानसभा में 11 मार्च को कांग्रेस विधायक लखन घंघोरिया ने जबलपुर जिले का एक मामला उठाया है। उन्होंने बताया कि शासकीय रॉबर्टसन कॉलेज जबलपुर का सबसे अच्छा कॉलेज माना जाता रहा है। लेकिन दो विंग में बांटे कॉलेज में स्थिति यह है कि आर्ट्स फैकल्टी का प्रोफेसर साइंस कॉलेज विंग में 9 साल से प्रिंसिपल बना बैठा है।

घंघोरिया ने यह भी कहा कि साइंस का जूलॉजी का व्याख्याता महाकौशल आर्टस कॉलेज का प्रिंसिपल है। ऐसे में यह क्या पढ़ाते हैं, इसका सहज अनुमान लगाया जा सकता है। घंघोरिया ने इस अव्यवस्था पर सवाल उठाते हुए यह भी कहा कि अगर ऐसा ही करना है तो फिर तहसीलदार और पटवारी को कॉलेज सौंप देना चाहिए।

उच्च शिक्षा विभाग के मंत्री ने मानी गलती
इधर एक दूसरे मामले में उच्च शिक्षा मंत्री परमार ने गड़बड़ी को विधानसभा में लिखित जवाब में स्वीकार किया है। उन्होंने कहा है कि प्रदेश की कुछ यूनिवर्सिटी में मानकों के विपरीत कुलगुरु पदस्थ हैं। परमार में कहा है कि 15 यूनिवर्सिटी से मिली डिटेल के आधार पर कुलगुरु की नियुक्ति को आयोग ने स्वीकार कर लिया है। दो यूनिवर्सिटी में नियमित कुलगुरु की नियुक्ति की जा चुकी है। शेष 15 के अमान्य कुलगुरु को हटाकर कार्यवाहक कुलगुरु की नियुक्ति की गई है। नियमित कुलगुरु की नियुक्ति प्रक्रियाधीन है। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार विधान सभा में यह सवाल लगाया था।

32 यूनिवर्सिटी के कुलगुरु की नियुक्ति अमान्य
दरअसल प्रदेश की 32 यूनिवर्सिटी में कुलगुरु की नियुक्ति सवालों के घेरे में है। इनमें से 15 में प्रभारी कुलगुरु नियुक्त किए गए हैं। इन्हें पद से हटाने के लिए मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग ने सरकार से अनुशंसा की है। इस मामले में मंत्री ने कहा है कि मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग द्वारा नियम जारी किए गए थे।

पुनरीक्षण समिति द्वारा दी गई जांच रिपोर्ट के आधार पर शुरुआती दौर में 32 यूनिवर्सिटी के कुलगुरु की नियुक्ति को आयोग द्वारा अमान्य किया गया है। आयोग ने इन्हें हटाकर जानकारी देने के लिए कहा था। 32 यूनिवर्सिटी से प्राप्त अभ्यावदेनों का पुनरीक्षण आयोग द्वारा कराया गया।

कुलगुरु की नियुक्ति मानकों के विपरीत क्यों है?
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने सरकार से पूछा था कि प्रदेश की यूनिवर्सिटी में कुलगुरु की नियुक्ति मानकों के विपरीत क्यों है? क्या प्रदेश में ऐसे मामलों में मापदंड के विपरीत कुलगुरु की नियुक्ति को अमान्य कर संबंधित यूनिवर्सिटी के कुलगुरु को तत्काल हटाया गया है?

क्या वर्तमान में कुछ यूनिवर्सिटी के अभ्यावेदन और अभिलेख पुनरीक्षण समिति के समक्ष प्रक्रियाधीन हैं? उन्होंने यह भी पूछा कि क्या शासन द्वारा दिए गए निर्देश का पालन किया जा चुका है? क्या प्रकरण में पुनरीक्षण समिति के समक्ष अभ्यावेदन और अभिलेखों की प्रक्रियाधीन कार्यवाही पूर्ण हो गई है?

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