
पूर्व केन्द्रीय मंत्री विजय गोयल के नेतृत्व में कई लोगों ने विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया और राज्य सरकारों से कुत्तों के काटने पर मुआबजा देने की मांग की। धरने में ऐसे बहुत से लोग आए, जिन्हें कुत्ते ने काटा था।
लावारिस कुत्तों के काटने से परेशान दिल्ली के 100 से ज्यादा आरडब्ल्यूए-एनजीओ ने जंतर-मंतर पर धरना दिया। पूर्व केन्द्रीय मंत्री विजय गोयल के नेतृत्व में कई लोगों ने विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया और राज्य सरकारों से कुत्तों के काटने पर मुआबजा देने की मांग की। धरने में ऐसे बहुत से लोग आए, जिन्हें कुत्ते ने काटा था।
विजय गोयल ने कहा कि देश भर में करीब 12 करोड़ और अकेले दिल्ली में 11 लाख से अधिक कुत्ते हैं। देश में करीब 20,000 और दिल्ली में करीब 2000 लोगों को हर रोज लावारिस कुत्ते काट रहे हैं। उन्होंने मांग की कि 100 फीसदी कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण होना चाहिए। एनिमल वेलफेयर बोर्ड ने जो एनिमल बर्थ कंट्रोल बोर्ड बनाए हैं, उनमें बदलाव होना चाहिए। क्योंकि वे जनता के हित में नहीं है। नहीं तो एक समय ऐसा आएगा कि लावारिस कुत्तों की संख्या मानव संख्या से ज्यादा हो जाएगी।
विजय गोयल ने मांग की है कि लावारिस कुत्तों के काटने पर पूरे देश की राज्य सरकारों को मुआवजा देना चाहिए। उन्होंने कहा कि पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने निर्णय दिया है और जो कुत्ते काट रहे हैं, उनका बाड़ा अलग बनाकर उन्हें उसमें बंद किया जाना चाहिए। कुत्तों की नसबंदी की हर महीने जांच होनी चाहिए। एंटी रेबीज इंजेक्शन की भरपूर मात्रा होनी चाहिए, जो आज बहुत कम है, इसीलिए सरकार को एंटी रेबीज वैक्सीन के एक्सपोर्ट को बंद करना चाहिए। निगम ने कुल 12-15 निजी एनजीओ के भरोसे नसबंदी का काम छोड़ रखा है। जिसमें भारी भ्रष्टाचार है, उनकी जगह एमसीडी को यह काम अपने हाथों में ले लेना चाहिए।
धरने के दौरान डॉग लवर्स ने किया हंगामा
जंतर-मंतर धरने पर तथाकथित कुत्तों को खाने खिलाने वालों ने गोयल की सभा में हंगामा किया और बहस करने लग गए, जिन्हें बाद में पुलिस पकड़ कर ले गई। विजय गोयल ने बताया कि 4-5 लावारिस कुत्ते उनकी सभा के आस-पास भी घूम रहे थे। दिल्ली में वे आरडब्ल्यूए के बीच जब भी बैठक करते हैं, तो तथाकथित कुत्ता प्रेमी उनकी बैठक में गाली गलोच और बहस कर मोबाइल रील बनाने की कोशिश करते हैं। जबकि उनके पास हमारे तर्कों का कोई जवाब नहीं होता है। लावारिस कुत्तों के काटने से लोग उनको नफरत की निगाह से देखते हैं।