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PAK की उड़ेगी नींद! आ रहा है INS तमाल

पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान युद्ध के खौफ में है। पाकिस्तान को हर समय यह डर सताता रहता है कि भारत उस पर कभी भी हमला कर सकता है। पाकिस्तान की नेवी ने समुद्री रास्ते से पूरे मुल्क की घेराबंदी कर रखी है। पाकिस्तान युद्ध में भारत से जीतने के ख्वाब देख रहा है, लेकिन पाकिस्तान नौसेना को बार फिर मुंह की खानी पड़ सकती है, क्योंकि भारतीय नौसेना के बेड़े में मल्टी रोल स्टेल्श गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट ‘तमाल’ की एंट्री होने जा रही है।

रूस में नौसेना के क्रू को ‘तमाल’ का इस्तेमाल करने की ट्रेनिंग दी जा रही है। इस शिप की डिलीवरी अगले साल जून में होनी थी, लेकिन अब इसकी डिलीवरी इसी महीने के अंत में 28 मई तक की जाएगी।

रूस में क्रू की ट्रेनिंग जारी
‘तमाल’ को रूस के यांतर शिपयार्ड में बनाया जा रहा है। इसे दुनिया की सबसे घातक वॉरशिप में गिना जाता है। इस वॉरशिप से दुनिया की सबसे खतरनाक एंटी शिप मिसाइल ब्रह्मोस को दागा जाएगा। इससे पहले INS तुशील भारतीय नौसेना में शामिल हो चुका है।

2016 में हुआ था समझौता
बता दें कि रूस और भारत के बीच 2016 में एक समझौता हुआ था, जिसके तहत रूस को 4 तलवार क्लास स्टेल्थ फ्रिगेट्स बनाने का जिम्मा सौंपा गया था। 9 दिसंबर 2024 को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने INS तुशील को भारतीय नौसेना में शामिल किया था। अब इसी कड़ी में दूसरी वॉरशिप INS तमाल भी भारतीय नौसेना के जंगी बेड़े का हिस्सा बनने जा रही है।

INS तमाल की खासियतें
INS तमाल की खासियतों पर बात करें तो इसे तलवार भी कहा जाता है।
समंदर में 30 नॉटिकल मील प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली ‘तमाल’ एक बार में 3000 किलोमीटर तक की दूरी तय करने में सक्षम है।
इससे एंटी शिप ब्रह्मोस मिसाइल भी फायर की जा सकती है।
‘तमाल’ को खासतौर पर एंटी सबमरीन वॉरफेयर के हिसाब से डिजाइन किया गया है।
इस वॉरशिप में एंटी सबमरीन रॉकेट्स और टॉरपीडो भी मौजूद हैं।
INS तमाल का वजन 3900 टन होगा।
इस वॉरशिप पर एक हेलीकॉप्टर को भी तैनात किया जा सकता है।

आखिरी इंपोर्टेड वॉरशिप
बता दें कि भारतीय नौसेना में तलवार क्लास के वॉरशिप 2003 से ही शामिल होने लगे थे। भारतीय नौसेना के पास इस क्लास के 6 जंगी जहाज मौजूद हैं। इनमें से 4 को ब्रह्मोस मिसाइल से लेस किया जा चुका है और 2 को ब्रह्मोस से लेस करने की तैयारी चल रही है। INS तमाल भारतीय नौसेना का आखिरी इंपोर्टेड वॉरशिप होगा। इंडियन नेवी ने यह साफ कर दिया है कि इसके बाद कोई भी वॉरशिप बाहर से नहीं खरीदा जाएगा।

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